Ranchi news : झारखंड विधानसभा के जारी मॉनसून सत्र के पांचवें दिन गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने स्पीकर से कहा, ‘आपने 18 विधायकों को निलम्बित कर दिया। यह इमरजेंसी के बाद सबसे बड़ा काला अध्याय है। सजा सुनाने से पहले सुनना चाहिए था। इसी सदन में देखा है कि स्पीकर पर जूते चले हैं। उसके बाद भी निलम्बन नहीं हुआ। हम लोगों ने कुर्सी नहीं तोड़ी। माइक भी नहीं तोड़ा। संविधान में विरोध करने का अधिकार है। 2019 में जो सरकार बनी थी और जो वायदे किये गये थे, उसे हम सुनना चाहते हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा को पाकुड़ के गोपीनाथपुर नहीं जाने दिया गया। पत्रकारों को नहीं आने दिया गया। ये सभी घटनाएं सरकार के दबाव में हुई हैं। सरकार के दबाव में विधायकों का निलम्बन हुआ है। हाउस अरेस्ट जैसा कर दिया गया। हम लोगों को निकाल कर बाहर किया गया।
यह अत्याचार की पराकाष्ठा
बाउरी ने कहा कि यह अत्याचार की पराकाष्ठा है। हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया। अहिंसा के तहत हम बैठे हुए थे। बुधवार रात में जब हम लोग आम लोगों के सवाल पर सदन में थे, तब मार्शल ने जबरन टांग कर बाहर कर दिया। जनता के मुद्दों पर लोकतंत्रिक तरीके से आन्दोलन करना हमारा धर्म है। गांधीवादी तरीके से विपक्ष अपनी बात रख रहा था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पत्नी धर्म निभाते हुए कल्पना मुर्मू सोरेन जब यह बोलती हैं कि पांच महीने का हिसाब कौन देगा। तब वह पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन का अपमान करती हैं। चम्पाई सोरेन शिबू सोरेन के हनुमान हैं। वह वरिष्ठ नेता हैं। वह हेमन्त सोरेन का पार्ट टू भी बताते हैं। लेकिन, ये लोग परिवार के बाहर किसी दूसरे को स्वीकार नहीं सकते।
मुझे भी सस्पेंड कर देते, बाहर में मेरी किरकिरी हो रही है : नीलकंठ सिंह मुंडा
भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा, ‘मैं भी साथ था। मेरा क्या दोष था, मुझे भी सस्पेंड कर देते। बाहर में मेरी किरकिरी हो रही है। क्या दोष था, जो मुझे नहीं निकाला गया। मुझे भी सस्पेंड कर दें। मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे मुझे जाति से निकाल दिया गया है। मुझ पर संदेह किया जा रहा है। आप पर भी बाहर में संदेह किया जा रहा है। मुझे भी सस्पेंड कर दीजिये। दरअसल, भाजपा के 18 विधायकों को स्पीकर ने निलम्बित किया है, लेकिन निलम्बित विधायकों में नीलकंठ सिंह मुंडा का नाम नहीं है।
विधायकों के निलम्बन पर पुनर्विचार करें : सुदेश महतो
सदन की कार्यवाही दूसरी बार शुरू होते ही सुदेश महतो ने विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो से निलम्बन पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। सरकार ने अपना कमिटमेंट पूरा नहीं किया। सरकार का उत्तर आना चाहिए था। कार्यमंत्रणा समिति में एक बार भी नहीं ले गये। ऐसे मामलों में बीच का रास्ता निकालने के लिए ही कार्य मंत्रणा की भूमिका होती है। इतना कठोर नहीं होना चाहिए। सरयू राय ने भी कहा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुला ली जानी चाहिए।