अंकिता बरदियार
प्रकृति ने झारखंड को फुर्सत से तराशा है। यहां की मनमोहक वादियां हमेशा ही पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती रही हैं। देश-विदेश के आगंतुक जैसे ही झारखंड की धरती पर अपना कदम रखते हैं और उनका स्वागत होता है “जोहार” से। वैसे ही वह अपने जीवन की एक यादगार सफर की ओर कदम बढ़ाते हैं।
प्रकृति ने झारखंड को अनंत पर्यटन स्थलों से नवाजा है, यहां पर्यटन स्थलों के सौंदर्य की बात ही निराली है, वैसे कहा जाये, तो दुनिया में घूमने के लिए पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है। लेकिन, बात जब अपने झारखंड की हो, तो यहां पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है।
यहां आदिवासियों का अनूठा जीवन और उनके अतुल्य रीति-रिवाज पर्यटकों को यहां आने पर विवश कर देते हैं। एक तरफ प्रकृति ने ऐसी खूबसूरत स्थलों की रचना की है, जिनमें झरने, नदी, पहाड़ एवं खूबसूरत वन्य शामिल हैं तथा दूसरी तरफ मानव निर्मित वन उद्यान, धार्मिक स्थल मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, प्राचीन कलास्थल इत्यादि शामिल हैं।
यहां बोली जानेवालीं विभिन्न प्रकार की भाषाएं पर्यटकों को काफी लुभाने का कार्य करती हैं। बात जब झारखंड के पर्यटक स्थलों की हो रही है, तो यहां पर पहाड़ों के बीच से गाड़ियों की आवाज सुनाई देती है। यह किसी आशा की किरण से कम नहीं। इस घाटी के रोमांचक दृश्य मन के रोम-रोम को रोमांचित कर देते हैं।
ऐसे कहें, तो झारखंड का एक-एक जिला अपने आप में मनोरम दृश्य एवं अद्भुत छटा लिये तैयार खड़ा है।
मुख्यमंत्री झारखंड सरकार की अध्यक्षता में विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर वर्ष 2015 में झारखंड थाली का विमोचन भी किया गया था।
…तो, आइये आपसब को मैं निम्न पर्यटन स्थल की सैर कराती हूं !
मलूटी : झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर दुमका जिले में अवस्थित सैकड़ों साल पुराने मंदिरों के गांव मलूटी की एक झलक पाकर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा भी अचंभित रह गये। 2015 के गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में आयोजित समारोह में झारखंड की ओर से मंदिरों के गांव मलूटी पर आधारित झांकी पूरे देश में आकर्षण का केन्द्र बनी रही, जिसे द्वितीय पुरस्कार से भी नवाजा गया।
देवघर : धार्मिक स्थलों में सुमार तथा 12 ज्योतिर्लिंगों मंदिरों में एक झारखंड का लोकप्रिय धार्मिक स्थल “बाबा बैधनाथ” मंदिर, जो झारखंड राज्य के संताल परगना में स्थित देवघर जिले में अवस्थित है। ऐसे तो यहां पर हर दिन लाखों की संख्या में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन, सावन माह तथा शिवरात्रि के दिनों में यह संख्या कई लाख में बदल जाती है। यह मंदिर आस्था का बहुत बड़ा केन्द्र माना जाता है।
बासुकीनाथ मंदिर : देवघर के शिवालय के आलावा हिन्दू भक्तगण इनके दर्शन के लिए भी आते हैं। बैद्यनाथ मंदिर की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती है जब तक दुमका जिले अवस्थित बासुकीनाथ का दर्शन नहीं कर लिया जाये।
पारसनाथ : झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिले में अवस्थित बिहार और झारखंड की सबसे उच्चतम चोटी के नाम से जानी जानेवाली पहाड़ियों की एक श्रृंखला है, जिसकी ऊंचाई लगभग 1350 मीटर है। इसे सम्मेद जी शिखर के नाम से भी जानते हैं और यह जैन समाज के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में एक है। अभी हाल ही में इस स्थान को झारखंड सरकार द्वारा पर्यटक स्थल बनाने की घोषणा की गयी थी, जिसका की जैन समाज ने बड़े स्तर पर विरोध जताया था। इसके बाद राज्य सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा।
नेतरहाट : झारखंड की शान तथा छोटानागपुर की रानी जो की पहाड़ियों से घिरा शांत तथा खूबसूरत जगह है, जो की लातेहार जिले में स्थित एक बहुत ही शानदार टूरिस्ट पैलेस है, जिसे नेतरहाट के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि पहाड़ियों में सूर्यास्त की सुंदरता का आनंद लेना है, तो नेतरहाट आइए, यह एक चुंबकीय परिदृश्य का एक क्षण होगा, जिसके लिए आप निश्चित ही आकर्षित होंगे।
हुंडरू जलप्रपात : रांची- मुरी मार्ग पर अवस्थित स्वर्णरेखा नदी पर स्थित झारखंड का दूसरा तथा भारत का 34 वां सबसे ऊंचा जलप्रपात है, जो कि लगभग 98 मीटर (320 फीट) की ऊंचाई से गिरता है, बरसात के दिनों में इस जलप्रपात की धारा मोटी हो जाती है, जिसका दृश्य सुंदर व मनमोहक हो जाती है।
दशम जलप्रपात : रांची- टाटा मार्ग पर स्थित 10 पानी की धाराओं का समुह जिसका मुख्य स्रोत कचनी नदी है, जिसे दशम गढ़ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे कहें, तो झारखंड राज्य में जलप्रपातों की कोई कमी नहीं। जैसे…लोध जलप्रपात (लातेहार) पंचघाघ जलप्रपात (खूंटी), सीता जलप्रपात (रांची), जोन्हा जलप्रपात (रांची), हिरनी जलप्रपात, उसरी जलप्रपात (गिरिडीह) इत्यादि जिसकी मनोरम छटा यहां आनेवाले पर्यटकों का मन भावविभोर कर देती है।
जमशेदपुर : बात झारखंड के पर्यटन स्थलों की हो रही है, तो झारखंड का जमशेदपुर जिला पर्यटन के क्षेत्र में सबसे धनी जिला माना जाता है, जिसे स्टील की राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। इस शहर का नाम जमशेदजी टाटा के नाम पर रखा गया था। यह शहर दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी इस्पात कम्पनी के नाम से जानी जाती है। यहां घूमने के लिए जुबली पार्क, टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क, जुबली निको मनोरंजन पार्क, सर दोराबाजी टाटा पार्क, भाटिया पार्क, जनजातीय संस्कृति केंद्र, हुडको झील, जयंती सरोवर एवं अमादुबी ग्रामीण पर्यटन केन्द्र के अलावा भी कई टूरिज्म स्पोर्ट हैं।
पतरातु घाटी : रामगढ़ को रांची से जोड़नेवाली पतरातु की घाटी को झारखंड का शिमला कहा जाता है, जलेबी की तरह घुमावदार सड़कें तथा यहां की खूबसूरत वादियां मुझे शिमला की याद दिलाती है।
छिन्नमस्तिके मंदिर : ऐसे कहें, तो रामगढ़ में बहुत सारे धार्मिक स्थल तथा घूमने की जगह है। लेकिन, यहां आस्था का केन्द्र माता छिन्नमस्तिके का मंदिर है, जो कि भैरवी और दामोदर नदियों के संगम स्थल पर रजरप्पा में अवस्थित है। इसे शक्ति का एक प्राचीन और मजबूत स्रोत माना जाता है। हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार इस मंदिर को देश के शक्तिपीठों में प्रमुख माना जाता है। यहां झारखंड से सटे लगभग सभी राज्यों के लोग वर्ष भर आते रहते हैं।
मैक्लुस्कीगंज : झारखंड का मिनी लंदन कहा जानेवाला स्थान मैक्लुस्कीगंज है, जिसे एंग्लो इंडियन समुदाय के एकमात्र गांव, जिसे इंग्लिश अफसर लेफ्टिनेंट मैक्लुस्की ने रातू के महाराजा से जमीन लेकर देश भर के एंग्लो इंडियन को बुला कर इस गांव में बसाया था, अभी भी कई हवेली खंडहरनुमा रूप में बसे हैं, जिन्हें लोग देखने के लिए आते हैं।
मैथन जलाशय : काला हीरा शहर से प्रसिद्ध धनबाद के बराकर नदी के तट पर स्थित के मैथन बांध जिस झील पर बनाया गया है, वह 65 वर्ग किलोमीटर से अधिक में फैला हुआ है (क्षेत्रफल गूगल), यह 1948 में दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा विकसित किया गया था। दामोदर घाटी निगम का यह सबसे बड़ा जलाशय है इसके आसपास का सौन्दर्य पर्यटकों को बरबस ही अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। पर्यटन की दृष्टि से मैथन जलाशय का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यहां नौकायन से लेकर मृगदाव तथा पक्षी विहार है, जहां हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंच कर रोज विभिन्न किस्म के पशु-पक्षियों को देख कर आनंद उठाते हैं।
बेतला राष्ट्रीय वन उद्यान : लातेहार और पलामू के जंगलों में स्थित यह वन अभ्यारण टाइगर परियोजना के तहत बाघ आरक्षित होने के लिए भारत के राष्ट्रीय पार्कों में एक है, जो कि अभी वन विभाग के अधीन है।
बिरसा जैविक उद्यान : यह जैविक उद्यान रांची- हजारीबाग मार्ग के ओरमांझी में स्थित है, जो कि पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। इसी प्रकार दलमा वन अभ्यारण, संजय गांधी जैविक उद्यान, टैगोर हिल रांची जैसे और भी पर्यटन स्थल झारखंड में अवस्थित है, जो अपनी मनमोहक छटा के कारण पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। झारखंड की मातृभाषा तथा यहां की माटी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है, जो झारखंड की शान है। कुल मिला कर पूरा का पूरा झारखंड अपने आप में अनूठा पर्यटक स्थल है, जहां पर्यटन की असीम सम्भावनाएं निहित हैं। बस जरूरत है, इसे तरीके से संवारने और देशी-विदेशी सैलानियों तक पहुंचाने की।
(लेखिका झारखंड एमिटी यूनिवर्सिटी की बीजेएमसी की छात्रा हैं।)