Jharkhand news: एयरपोर्ट की रेस में अपने पड़ोसी जिलों देवघर और बोकारो से धनबाद काफी पीछे हो गया है। देवघर से जहां व्यावसायिक उड़ानें शुरू हो चुकी हैं, वहीं बोकारो भी उड़ान भरने को तैयार है। इधर, केंद्र और राज्य सरकार की लगातार उपेक्षा से नाराज धनबाद के लोगों ने एयरपोर्ट के लिए एक बार फिर ट्विटर पर अभियान चलाया है। इससे पहले पिछले माह भी ट्विटर पर अभियान चलाकर एयरपोर्ट के मुद्दे पर लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया गया। धनबाद के लोगों ने ट्विटर पर हैशटैग धनबाद डिजर्व एयरपोर्ट के साथ हजारों ट्वीट कर धनबाद में एयरपोर्ट बनवाने की मांग की। लगभग दस हजार ट्वीट और रीट्वीट किए गए। सभी का यही कहना था कि धनबाद में भी एयरपोर्ट होना चाहिए।
धनबाद को नजरअंदाज किए जाने से लोग दुखी
दर्जनों संगठनों से जुड़े सैकड़ों लोगों सहित धनबाद के बुद्धिजीवी, युवा, पत्रकार, वकील, चिकित्सक, छात्रों ने बढ़ चढ़कर ट्वीट किया। धनबाद के बाहर दिल्ली, नोएडा, मुंबई, चेन्नई सहित अन्य जगहों पर रहने वाले धनबाद के प्रवासी लोगों ने भी एयरपोर्ट की वकालत की। लोगों में आक्रोश इस बात का था कि धनबाद के कोयले से देश रोशन होता है और यहां के लोगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। धनबाद के हजारों छात्र देश के बड़े शहरों में पढ़ाई करते हैं। हजारों की संख्या में लोग देश विदेश में कार्यरत हैं। उन्हें धनबाद पहुंचने में कई बार 24 और 36 घंटे लग जाते हैं। बीसीसीएल, सिंफर, आइआइटी आइएसएम, डीजीएमएस, सीएमपीएफ जैसे केंद्रीय महत्व के संस्थान होने के साथ ही बीआइटी, बीबीएमकेयू, एसएनएमएमसीएच जैसे उच्च संस्थान होने के बावजूद धनबाद उपेक्षित है। अब तो हर्ल भी शुरू होने जा रहा है। एमपीएल जैसी बड़ी औद्योगिक इकाइयां होने के बाद भी धनबाद को नजरअंदाज किया जाता रहा है। यहां जनप्रतिनिधि भी आंख बंद किए हुए हैं।
एयरपोर्ट नहीं बनाते तो जमीन वापस करे सरकार
लोगों का कहना है कि धनबाद के हक की सारी सुविधाएं पड़ोसी जिलों को चली जा रही हैं, लेकिन संसद में यहां के लोकसभा सदस्य पीएन सिंह की बोली तक नहीं निकलती। ट्वीट के माध्यम से इस बात के लिए जागरूक करने का प्रयास किया गया कि धनबाद में दो जगहों पर एयरपोर्ट के लिए सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहित की गई। अगर एयरपोर्ट नहीं बनाते हैं तो सरकार को लोगों की जमीन भी वापस कर देनी चाहिए। यहां बता दें कि 17 जुलाई को धनबाद डिजर्व्स एयरपोर्ट मंच के जरिए भी ट्विटर कैंपेन किया गया था और इसमें भी धनबाद के लोगों का अभूतपूर्व सहयोग रहा है