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आदिवासी-मूलवासी अपने मान-सम्मान और स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं करते: हेमंत सोरेन

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श्रद्धांजलि सभा सह शिलान्यास उद्घाटन एवं परिसम्पत्ति वितरण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री, वीर शहीदों दी श्रद्धांजलि 

अपने वीर शहीदों के आदर्श पर चल कर झारखंड को दे रहे हैं नयी दिशा : हेमन्त 

मुख्यमंत्री ने  201.83 लाख की लागत की 96 योजनाओं का किया उद्घाटन-शिलान्यास, लाभुकों के बीच 103.41 लाख 80 हजार रुपये की परिसम्पत्तियों का हुआ वितरण

Ranchi News : गुवा शहादत दिवस…कोल्हान समेत पूरे झारखंड के लिए यह एक ऐसा दिन है,  जिसे हम ना कभी भूले हैं और ना कभी भूलेंगे। आनेवाली पीढ़ी के लिए हमारे वीर शहीद हमेशा आदर्श रहेंगे। ये वीर शहीद सदैव हमारे मार्गदर्शक रहे हैं। ऐसे में इनके आदर्श पर चल कर हम झारखंड को नयी दिशा दे रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन रविवार को पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुंडी में गुवा गोली कांड के शहीदों की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा-सह-परियोजनाओं का शिलान्यास-उद्घाटन एवं परिसम्पत्ति वितरण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने शहीद स्थल पर माल्यार्पण कर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

हमेशा से वीरों की धरती रही है झारखंड

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड हमेशा से वीरों की धरती रहा है। झारखंड का कोई भी ऐसा कोना नहीं है, जहां से वीर शहीदों के नाम आपको सुनने को ना मिले। चाहे अन्याय-शोषण-जुल्म के खिलाफ लड़ाई हो या फिर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग। हमारे आदिवासी-मूलवासियों ने हमेशा संघर्ष किया। उन्होंने किसी के सामने कभी झुकना नहीं सीखा। उन्होंने अपने मान-सम्मान और स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। भले ही इसके लिए अपनी कुर्बानी ही क्यों ना देनी पड़े। यही वजह है कि इतिहास के पन्नों में हमारे कई वीर शहीदों के नाम दर्ज हैं, तो कई आज भी गुमनाम हैं। हमें अपने सभी वीर शहीदों पर गर्व है।

आदिवासी अपने संघर्ष और ताकत से अपना अधिकार लेते हैं 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी मूलवासियों के रगों में जो खून दौड़ रहा है, वह जब उफान लेता है, तो अपने हक और अधिकार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देता है। जितना आदिवासी का खून जमीन पर गिरता है, उतने ही आदिवासी वीर पैदा लेते हैं। आदिवासी संघर्षों से बिखरता नहीं है, बल्कि और मजबूत होकर सामने आता है। मैं इस बात को दावे के साथ कह सकता हूं कि जिस तरह लम्बी लड़ाई के बाद झारखंड अलग राज्य लिया, उसी तरह इस राज्य को और मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं।

2019 में सरकार गठन के साथ चुनौतियों पर चुनौतियां आती रहीं पर विकास को देते रहे रफ्तार

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 में हमारी सरकार के गठन के साथी बड़ी-बड़ी चुनौतियां हमारे सामने आती रहीं। एक तरफ कोरोना की वजह से झारखंड समेत पूरी वैश्विक व्यवस्था ठप हो गयी थी। ऐसे समय में भी हमारी सरकार ने जीवन आजीविका को बचाने का कार्य किया। इसके बाद भी चुनौतियां कम नहीं हुईं। पिछले दो वर्षों में सुखाड़ हमारे लिए सबसे बड़ी चिन्ता का विषय बना रहा। लेकिन, इन विपरीत परिस्थितियों के बीच भी राज्य सरकार की योजनाएं शानदार तरीके से धरातल पर उतर रही हैं और विकास का नया आयाम गढ़ा जा रहा है।

आपको किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़े

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में आज भी एक बड़ी आबादी गरीबी की जिन्दगी जीने को मजबूर है। यहां वे बिचौलियों-दलालों के चंगुल में फंसे रहते हैं। खाने-पीने के सामान से लेकर अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए दलालों से पैसे लेना पड़ जाता है। ऐसे में बिचौलियागीरी खत्म  करना हमारा संकल्प है। यही वजह है कि हमारी सरकार ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत करने के मकसद से कई योजनाएं लेकर आयी है, ताकि आप इन योजनाओं से जुड़ कर अपने को सशक्त बनायें, ताकि किसी के आगे आपको हाथ फैलाना नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि आनेवाले 05 वर्षों में हर घर में एक लाख रुपये हर वर्ष पहुंचाने का काम हमारी सरकार करेगी, ताकि आपको किसी से कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़े।

बेटी हमारी बोझ नहीं मजबूत सम्पति बनेंगी 

मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियां हमारी बोझ नहीं, मजबूत सम्पत्ति बनेंगी। अपनी बहन-बेटियों के सशक्तीकरण के लिए सरकार पूरी ताकत के साथ काम कर रही है। उन्होंने लोगों से कहा कि वे अपनी बेटियों को जरूर पढ़ायें। पढ़ाई पर होनेवाले खर्च की चिन्ता नहीं करें। सरकार बच्चियों की पढ़ाई का पूरा जिम्मा उठा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपनी बहन-बेटियों के तकलीफ और दु:ख-दर्द से भली-भांति वाकिफ हैं। ऐसे में उन्हें कैसे आगे बढ़ायें, इस पर सरकार लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के माध्यम से आधी आबादी को सशक्त बना रहे हैं।

देश के नीति निर्धारकों ने झारखंड पर नहीं दिया कोई ध्यान

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश-दुनिया में झारखंड की पहचान सोने की चिड़िया के रूप में है। यहां खनिज-संसाधनों की प्रचुरता है, लेकिन यहां के आदिवासी-मूलवासी आज तक पिछड़े हैं।  इसकी साफ वजह है कि देश के नीति-निर्धारकों की नजर में झारखंड की कभी अहमियत नहीं रही।  यहां के लोगों को मजदूरी करने के लिए छोड़ दिया गया। वे रोजी-रोटी की खातिर हमेशा पलायन करने को मजबूर रहे। झारखंड को किस कदर दरकिनार किया गया, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भी इस राज्य का 01 लाख 36 हजार करोड़ रुपये केन्द्र पर बकाया है। यदि यह पैसा हमें मिल जाये, तो झारखंड की दशा और दिशा पूरी तरह बदल देंगे।

77 योजनाओं की रखी गयी आधारशिला, 19 का उद्घाटन 

मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में 201 करोड़  83 लाख  06  हजार  547 रुपये की लागत से 96 योजनाओं का उद्घाटन शिलान्यास शामिल है। इसमें 153 करोड़ 33 लाख 03 हजार 847 रुपये की 77 योजनाओं की नींव रखी गयी, वहीं 48 करोड़ 50 लाख 02 हजार 650 रुपये की 19 योजनाओं का उद्घाटन हुआ। इसके साथ लाभुकों के बीच 103 करोड़ 41 लाख 80 हजार रुपये की परिसम्पत्तियां बांटी गयीं।

शहादत दिवस कार्यक्रम में मंत्री दीपक बिरूवा, सांसद जोबा मांझी, विधायक निरल पूर्ति, विधायक दशरथ गागराई, विधायक सुखराम उरांव, विधायक सोनाराम सिंकू, कोल्हान प्रमंडल के आयुक्त हरि कुमार केशरी, डीआईजी  मनोज रतन चौथे के अलावा पश्चिमी सिंहभूम जिले के उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक समेत जिला प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद रहे।

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