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मतदाता हैं खामोश किस पार्टी को देंगे वोट कुछ भी बोलने से कर रहे हैं परहेज

मतदाता हैं खामोश किस पार्टी को देंगे वोट कुछ भी बोलने से कर रहे हैं परहेज

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नेता भी मीडिया से कर रहे है परहेज, शहर में कम गांवों में अधिक दौड़ रहे, सभी दलों ने किया गांव का रुख

*बब्लू खान*

Latehar news, Chatra constituency, election 2024 :  चतरा लोकसभा क्षेत्र में अन्य दलों को छोड़कर खास कर दो राष्ट्री पार्टियां भाजपा और इंडिया गठबंधन का ध्यान ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं पर है। प्रचार अभियान का केंद्र भी ग्रामीण इलाके हैं। इसकी वजह यहां की 75 फीसदी आबादी का ग्रामीण इलाकों में निवास करना है। सभी दलों ने अब गांवों की ओर रुख कर लिया है। दूसरे चरण में 20 मई को चतरा लोकसभा सीट पर मतदान होगा। अपनी उम्मीदों की सरकार चुनने के लिए ग्रामीण मतदाता हमेशा सचेत रहा है और वह शहरी के मुकाबले मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लगाता है। राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी भी इस स्थिति को अच्छे से समझते हैं। इस बार चुनावी माहौल ऐसा है कि गांवों में लंबी चौपालें लग रही हैं।

वोट देने को लेकर हो रही है चौक चौराहों पर चर्चा 

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गांव में चौक चौराहों पर चौपाल लग रही है। युवा बेरोजगार किसान ग्रामीण जनता चौपाल लगाकर वोट देने की बात कर रहे हैं किसे वोट दें कि हमारे गांव में सड़क बिजली पानी इंदिरा आवास वृद्धा पेंशन मुहैया हो।

75 फीसदी आबादी ग्रामीण वोटरों की संजीदगी को भांपते हुए प्रत्याशियों ने गांवों की दौड़ लगा दी है। ग्रामीणों की देहरी पर नतमस्तक हो के नेता एक बार खुद को आजमाने का निवेदन कर रहे हैं। चुनावी माहौल में मतदाता ही भगवान और भाग्यविधाता हैं। सभी दलों का रुख गांवों की ओर यह बात राजनीतिक दल अच्छे से जानते और समझते हैं। इसी को देखते हुए इस समय भाजपा, कांग्रेस समेत सभी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों का रुख गांवों की ओर है। वहीं इस चुनावी माहौल में भाजपा नेता, प्रत्याशी और कांग्रेस के प्रत्याशी और इनके कार्यकर्ता भी ग्रामीण मतदाताओं को रिझाने के लिए हर विद्या का इस्तेमाल कर रहे हैं। वही दोनों दलों के प्रत्याशी मीडिया से दूर भाग रहे है, जो लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है? इतना ही नहीं, विरोधी दल के कार्यकर्ताओं को जैसे भी हो अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। चूंकि चतरा लोकसभा क्षेत्र के सभी पांच विधानसभा क्षेत्र मे ग्रामीण सुदूरवर्ती इलाके अधिक हैं। चतरा लोकसभा क्षेत्र में अभी भी ऐसे मतदाताओं से भरा पूरा है और यह झारखंड छत्तीसगढ़ और बिहार के सीमावर्ती गांवों में चल रही चुनावी हवा वर्तमान में इन  चतरा लोकसभा सीटों पर शहरों की अपेक्षा गांवों में चुनावी हवा अधिक चल रही है। इस बार मतदाता कुछ भी बोलने से कर रहे हैं परहेज किस  पार्टी को देंगे अपना समर्थन खुलकर नहीं आ रहे हैं सामने मतदाताओं की यह खामोशी यह खामोशी क्या कर दिखाती है। चतरा लोकसभा से 22 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं। अपनी किस्मत को आजमाने सभी अपने-अपने लुभाने वादों से ग्रामीण वोटरों को रिझाने की कर रहे हैं। भाजपा के उम्मीदवार कालीचरण सिंह और इंडिया गठबंधन से केएन त्रिपाठी को विभिन्न क्षेत्रों में सक्रियता से वोट मांगते देखा जा रहा है।

चतरा लोकसभा के गांवों में सड़क, पानी, बिजली पलायन रोजगार जैसे मुद्दे अभी अहम हैं

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चतरा लोकसभा क्षेत्र के लातेहार विधानसभा क्षेत्र के चंदवा  प्रखंड अंतर्गत सिरप मल्हन टुमारो धोती काली निंद्रा सेराक रिचूघुटा और पंचायत के रहने वाले सैकड़ों लोगों का कहना है कि चुनावों में ही नेता ग्रामीण क्षेत्रों में नजर आते हैं। ऐसे में लोगों में उनके आने पर उत्साह अधिक रहता है। वहीं बरवाडीह, गारू, महुआडांड़ जैसे प्रखंड के गांवों में सड़क, पानी, बिजली पलायन जैसे मुद्दे अभी अहम हैं। बरवाडीह मंडल डैम का जीनोंधार होना भी यहां के लोगों का अहम मुद्दा है। क्योंकि इसके जिर्णोद्धार होने से यहां के किसानों को खेती करने में आसानी होगी। उन्हें रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के लिए रोजगार का मुद्दा भी अहम है। सभी राजनीतिक दलों के नेता इस समय वोट मांगने आ रहे हैं। लेकिन यहां के ग्रामीण उसी को वोट देंगे जो उनकी समस्याओं का समाधान करेगा। दूसरी बात यह है कि इस बार प्रत्याशी मीडिया से दूरी बना रहे हैं और शहर में कम गांव पंचायत की भ्रमण ज्यादा कर रहे हैं। कार्यकर्ता भी मीडिया से कुछ कहने से बच रहे हैं।

जनता में इस अवधारणा को नेताजी कितना पाट पाएंगे

लोकसभा चुनाव आते ही चतरा लोकसभा में बाहरी प्रत्याशी और स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा चर्चा में आ जाता है। वोटर से लेकर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता तक स्थानीय-स्थानीय का रट लगाते फिर रहे हैं। लेकिन जब वोट देने की बारी आती है तो स्थानीयता का मुद्दा गौण हो जाता है और स्थिति ऐसी हो जाती है कि स्थानीय उम्मीदवारों की जीत तो दूर उन्हें जमानत बचाना भी मुश्किल हो जाता है। लोकतंत्र के इस पर्व में देखना अब दिलचस्प यह होगा की स्थानीय प्रत्याशी को वोटरों द्वारा कितना सम्मान मिलता है।

कई प्रत्याशियों पर दर्ज हैं आपराधिक मामले

भाजपा व कांग्रेस समेत कई निर्दलीय प्रत्याशियों के ऊपर अपराधिक मामले दर्ज हैं। कांग्रेस के केएन त्रिपाठी पर सरकारी आदेशों का उल्लघंन करने व आदेश के बिना संपति का प्रयोग में लाने के आरोप में मामला दर्ज हैं। भाजपा प्रत्याशी कालीचरण सिंह पर अवैध खनिज परिवहन के आरोप में मामला दर्ज है। इसी प्रकार निर्दलीय प्रत्याशी श्रीराम सिंह पर नाजायज मजमा लगाने व पत्थरबाजी करने के आरोप में मामला दर्ज है। सीपीआई के प्रत्याशी अर्जुन कुमार पर दुर्व्यहार व मारपीट करने के आरोप में मामला दर्ज है। बसपा के नागमणि पर धारा 144 का उल्लघंन करने के आरोप मे मामला दर्ज है। इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी मो अबुजर खान, दर्शन गंझू और दीपक कुमार गुप्ता पर भी कई अपराधिक मामले दर्ज हैं।

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