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2030 तक हम बननेवाले हैं दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था : द्रौपदी मुर्मू 

2030 तक हम बननेवाले हैं दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था : द्रौपदी मुर्मू 

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झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी (सीयूजे) में आयोजित तीसरे दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हुईं राष्ट्रपति, राष्ट्रपति ने 03 को चांसलर मेडल, 58 को गोल्ड मेडल और 29 को पीएचडी की डिग्री प्रदान की

Ranchi news, Jharkhand news : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी (सीयूजे) के विद्यार्थियों से देश की समृद्धि और विकास में अहम योगदान देने की अपील की। यूनिवर्सिटी के चेरी मनातू (रांची) स्थित परिसर में बुधवार को आयोजित तीसरे दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि हमारे देश के युवा इस देश के सबसे बड़े प्राकृतिक संसाधन हैं। आबादी में 55 प्रतिशत से अधिक युवा वर्ग के ही हैं। वर्ष 2030 तक दुनिया में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बननेवाले हैं।

मुर्मू ने कहा कि 2047 तक शिक्षित और समृद्ध भारत बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए अनुकूल परिस्थितियों को बनाना होगा। ऐसे में यहां के जिन युवाओं को पढ़ाई के बाद मेडल मिला है, वे अपने लिए अच्छा जीवन का निर्माण ही नहीं, देश और समाज के निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायें। विश्व गुरु बनने के सपने को पूरा करने और आनेवाली पीढ़ी को इसका लाभ देने के लिए यह जरूरी है कि युवा जिस क्षेत्र में कार्यरत हों, समृद्ध और विकसित भारत के निर्माण के लिए काम करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा बैद्यनाथ की पुण्य भूमि पर स्थित झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आकर मुझे विशेष हर्ष का अनुभव हो रहा है। मैं आज उपाधि प्राप्त करनेवाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। स्वर्ण पदक प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों को मैं विशेष बधाई देती हूं। मैं सभी विद्यार्थियों के माता-पिता, अभिभावकों और प्राध्यापकों को भी बधाई देती हूं, जिन्होंने विद्यार्थियों की यात्रा के हर पड़ाव पर उनका साथ दिया है और मार्गदर्शन किया है।

मुर्मू ने कहा कि सीयूजे कैंपस के पास से ही स्वर्णरेखा नदी बहती है। ऐसा कहा जाता है कि स्वर्णरेखा नदी का जल सेवन मात्र से ही मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। ऐसी भूमि और नदी के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त करना आपके लिए सौभाग्य की बात है। आपके विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य है “ज्ञानात् ही बुद्धि कौशलम्”। इसका अर्थ है, ज्ञान से ही बुद्धि और कौशल का विकास होता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि सभी विद्यार्थी इस संस्थान से मिले ज्ञान का सार्थक उपयोग करेंगे। अब आप सब को जीवन की जटिल परिस्थितियों का सामना करना होगा और अपने ज्ञान से इसका हल प्राप्त करना होगा।

हमारी बेटियां सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं

मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार प्रदान करते समय, शिक्षण संस्थानों के दीक्षांत समारोहों में, विभिन्न सेवाओं के प्रशिक्षु अधिकारियों से मिलते समय मुझे अहसास होता है कि आज हमारी महिलाएं और बेटियां सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं। मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि आज स्वर्ण पदक प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों में हमारी बेटियों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत है। स्वर्ण पदक प्राप्त करनेवालीं बेटियों को मैं विशेष रूप से शुभाशीष देती हूं। प्रत्येक बाधा एवं अवरोध को पार करके आपके द्वारा प्राप्त की गयी सफलता, हमारे समाज के लिए तथा सुनहरे भविष्य का सपना संजोनेवाली हर बेटी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने के लिए विशेष सेंटर्स बनें

मुर्मू कहा कि झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित शिक्षा पद्धति को अपनाया है। मुझे यह जान कर खुशी हुई है कि इस संस्थान द्वारा स्थानीय भाषा, साहित्य एवं संगीत की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने एवं बढ़ावा देने के लिए विशेष सेंटर्स बनाये गये हैं। चेरी मनातू कैम्पस ग्रीन आर्किटेक्ट को ध्यान में रखते तैयार किया गया है। इस संस्थान का ब्राम्बे कैम्पस भी प्रकृति की निकटता को दिखाता है। बगैर पेड़ काटे इको फ्रेंडली बनाया गया है। यह पर्यावरण संरक्षण के लिए अच्छा प्रयास है। हमें इको फ्रेंडली होना ही होगा।

झारखंड आने पर घर जैसा होता है अनुभव

द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड आने पर उन्हें लगता है कि वह अपने घर वापस आयी हैं। यहां उन्होंने पूर्व में राज्यपाल के तौर पर धरती आबा बिरसा मुंडा की धरती पर जनसेवा करने का काम किया है। यहां के जनजातीय भाई-बहनों से जुड़ाव रहा है। इसलिए नहीं कि वे आदिवासी हैं। जैसे परिवार में शारीरिक-मानसिक रूप से पिछड़े रहनेवाले को ज्यादा ध्यान देते हैं, उसी भाव से विकास की दौड़ में पीछे रह गये लोगों के लिए सोचना चाहिए। कैसे उनका पूर्ण विकास हो। जनजातीय भाई लोग भी विकास की मुख्य धारा से जुड़े रहें। राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी समाज के पास पारम्परिक ज्ञान का भंडार है। उनकी जीवन शैली से हम सीख पायें, तो ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों से जूझ पायेंगे, उसे हरा सकेंगे।

राष्ट्रपति मुर्मू ने दीक्षांत समारोह में तीन विद्यार्थियों को चांसलर मेडल दिया। चांसलर मेडल पानेवाले विद्यार्थियों में इंटीग्रेटेड एमटेक के शुभम भट्टाचार्य, एमटेक के उत्पल और एमएससी के अभिजीत गांगुली शामिल हैं। राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में 67 मेडल प्रदान किये, जिसमें 58 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल मिला, जबकि 29 को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गयी।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू दूसरी बार रांची पहुंची हैं। इसके पहले 24 मई को वह तीन दिवसीय दौरे में रांची पहुंची थीं। झारखंड हाई कोर्ट के नवनिर्मित भवन के उद्घाटन, खूंटी में केन्द्रीय जनजातीय मंत्रालय की ओर से बिरसा कॉलेज कैम्पस में महिलाओं के लिए आयोजित समारोह और रांची के ट्रिपल आईटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंची थीं।

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