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खुद जानें ग्रहों की स्थिति और इनका प्रभाव, लक्षणों से मिलते हैं संकेत

Dharm adhyatm

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Know the position of planets themselves, sign are found with symptoms , khud jaane grahon ki sthiti aur Inka prabhav , lakshanon se milte Hain sanket: खुद जानें ग्रहों की स्थिति। लक्षणों से मिलते हैं इसके संकेत। दरअसल ग्रह बाधा शुरू होने के पहले ही परिस्थितियां खराब होने लगती हैं। इसी तरह अच्छे परिवर्तन में भी शुभ फलों के संकेत मिलने लगते हैं। यदि अपने जीवन और होने वाली घटनाओं पर नजर रखें तो आप खुद अपनी जन्मकुंडली के ग्रहों की स्थिति समझ सकते हैं। जब यह समझ आ जाए तो उसे शांत करने के उपाय भी कर सकते हैं। ब्रह्मांड का नियम है कि यहां सारी प्रक्रिया एक व्यवस्था के तहत ही चलती है। आकस्मिक कुछ नहीं होता है। जो लोग इसे समझ नहीं पाते वे अज्ञानता में आकस्मिक घटना मानते हैं। ऐसे लोग बचाव के उपाय भी नहीं कर पाते हैं। जानें किस ग्रह की बाधा होने पर क्या संकेत मिलता है?

गुरु प्रतिकूल होने लगे तो अपयश का खतरा

गुरु या बृहस्पति यदि खराब होने लगे तो जातक की धार्मिक प्रवृत्ति में कमी आती है। गुरु, माता-पिता, देवी-देवता या धर्मग्रंथों का जाने-अनजाने अपमान कर बैठता है। उनके या उनमें से किसी के लिए अपशब्द बोलता है। ऐसे व्यक्ति का आभूषण खोने का खतरा रहता है। सिर के बाल झड़ने या कम होने लगते हैं। अपने ही वचन को पूरा नहीं कर पाता है। झूठ बोलने लगता है। जाहिर है कि उसे अपयश का भी खतरा रहता है। लोग सामने बोलें या न बोलें उसकी सार्वजनिक छवि खराब होने लगती है।

दांपत्य सुख में कमी का अर्थ शुक्र खराब

यदि दांपत्य जीवन में गड़बड़ी आने लगे तो समझ लें कि शुक्र प्रतिकूल हो रहे हैं। परिवार में अनावश्यक कलह, खासकर जीवनसाथी से विवाद भी इसके संकेत हैं। दाद, खाज, खुजली समेत किसी भी तरह के त्वचा रोग का भी खतरा रहता है। स्वप्नदोष, धातु क्षीणता समेत यौन रोग भी इसी के लक्षण हैं। इसमें मातृ शक्ति से विवाद होता है। मन में अधिक कामुक विचार आने लगते हैं। हाथ या पैर का अंगूठा सुन्न या निष्क्रिय होने लगे तो उसे भी इसी का संकेत समझें। इस तरह आप खुद जानें ग्रहों की स्थिति।

सूर्य के प्रतिकूल होने के संकेत ऐसे समझें

घर में अचानक बल्ब या ट्यूबलाइट फ्यूज होने लगे। रोशनी के आवागमन में खिड़की या रोशनदान में किसी तरह के अवरोध के कारण कमी हो तो सावधान हो जाएं। इसका अर्थ है कि सूर्य प्रतिकूल हो रहे हैं। रोशनी में अवरोध का कारण रोशनदान या खिड़की में कोई समस्या, पक्षियों के घोसले बनाना, बगल में कोई ऊंचा मकान बन जाना आदि भी हो सकता है। इसका भी अर्थ सूर्य के सकारात्मक भाव में कमी ही है। ऐसा होने पर सिर में चोट, सिरदर्द, पित्त संबंधी समस्या, शरीर में अकड़न, मुंह में बार-बार थूक आना, प्रतिष्ठा में कमी या बदनामी, अधिकारी या बड़े से तनाव और विवाद आदि हो सकता है।

चंद्रमा की कमी से होती है मानसिक परेशानी

जलजनित समस्या हो तो समझें चंद्रमा प्रतिकूल हो रहे हैं। ऐसे में चाँदी का आभूषण, मोती आदि के खोने या टूटने का खतरा भी रहता है। सफेद व सुंदर वस्त्र अचानक नष्ट होता है। पानी की टंकी, नल आदि में लीकेज की समस्या हो सकती है। बार-बार दूध फटने लगता है। आसपास जमा पानी दुर्गंध देने लगता है। माता एवं पुत्री को समस्या होती है। व्यक्ति खुद भी मानसिक रूप से परेशान रहने लगता है। सर्दी, खांसी, जलोदर, डायरिया जैसी जलजनित बीमारियां चपेट में लेने लगती हैं।

मंगल अशुभ हो रहे हों तो देते ऐसे संकेत

भूमि या संपत्ति के किसी भाग टूट-फूट होती है। उदाहरण के लिए यदि घर के किसी कोने में में आग लग जाती है। कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है। भूमि के किसी हिस्से पर कोई दूसरा जबरन कब्जे की कोशिश करे। भले ही ये छोटे स्तर पर हो। यदि ऐसा होता है तो समझें कि मंगल प्रतिकूल होने लगा है। ऐसे में लाल रंग की कीमती वस्तु के खोने या क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा रहता है। दुर्घटना, खून का बहना भी सकता है। वात संबंधित परेशानी भी हो सकती है। हवन करते समय यदि अग्नि अचानक बुझ जाए और उसे पुनः जलाने में परेशानी हो तो ये भी मंगल के खराब होने के लक्षण हैं।

छोटे व काले से हो विवाद तो शनि प्रतिकूल

खुद जानें ग्रहों की स्थिति में अब शनि की बारी। शनि के प्रतिकूल होने पर निर्धन, छोटे व काले लोगों से विवाद होने का खतरा रहता है। ऐसे लोग अपाहिज व गंदे भी हो सकते हैं। लोहे की वस्तु से गंभीर चोट लग सकती है। घर में काली गाय, भैंस, काली बकरी, काला कुत्ता मर या गंभीर रूप से बीमार हो सकता है। बार-बार दाढ़ी-मूंछ एवं सर के बाल बढ़ जाते हैं। कपड़े धोने का समय नहीं मिल पाता है। इसलिए गंदे कपड़े पहनने पड़ते हैं। अंधेरे, गंदे और घुटन भरी जगहों में बार-बार जाना पड़ता है। ये सभी शनि के खराब होने के पूर्व संकेत हैं।

खराब बुध गलत निर्णय कराते, अच्छे-बुरे की पहचान में दिक्कत

बुध के खराब होने का पहला संकेत बुद्धि-विवेक में कमी होती है। अधिक खराब होने पर और बुरी हालत होती है। जातक अच्छे-बुरे की पहचान नहीं कर पाता है। उसके सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है। सूंघने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। काम भावना में कमी से दांपत्य जीवन प्रभावित होती है। शिक्षा का मार्ग बाधित होता है। हालांकि पुस्तकों और परीक्षा के नाम पर अनावश्यक खर्च जरूर होता है। त्वचा संबंधी बीमारी का भी खतरा रहता है।

लोग अकारण विरोधी हों और भय सताए तो राहु प्रतिकूल

राहु के अशुभ होने का पूर्व संकेत जातक का अनावश्यक रूप से भयभीत होना है। लोग अकारण विरोध करने लगे तो समझें कि राहु प्रतिकूल हो रहे हैं। ऐसे में व्यक्ति को अक्सर मरा सांप या छिपकली दिखाई देती है। उसे बार-बार धुएं वाली जगह में जाना पड़ता है। सिगरेट-बीड़ी पीने वाले लोग अक्सर उसे घेरे रहते हैं। पवित्र नदी या कुंड के पास पहुंच कर भी उसमें स्नान नहीं कर पाता है। पालतू जानवर का नुकसान होता है। हाथ के नाखून खराब होने लगते हैं। रास्ता भटकने की स्थिति भी आती है। जरूरी वस्तु खोने का खतरा रहता है। इससे आप खुद जानें ग्रहों की स्थिति। समझ लें कि राहु का अशुभ भाव में प्रवेश हो रहा है।

केतु प्रतिकूल तो बोली होती है खराब

केतु अशुभ प्रभाव देने लगे तो जातक की भाषा खराब होने लगती है। वह अनायास अपशब्द बोलता है। पागल या मरणासन्न कुत्ता यदि बार-बार दिखे तो यह भी खराब केतु का पूर्व संकेत है। घर में आकर बाहर से कोई पक्षी मर जाए तो तत्काल केतु की शांति का उपाय करें। हड्डियों में परेशानी, पैर के नाखून टूटना या टेढ़ा होना भी इसके लक्षण हैं। ऐसा जातक अचानक फिसलने या गिरने लगता है। भ्रम की स्थिति का शिकार होता है। कई बार हास्यास्पद गलतियां करता है।

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