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जानिए सेतुबंधासन करने के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?

जानिए सेतुबंधासन करने के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?

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Setubandhasana, health tips : सेतुबंधासन का नाम दो शब्दों पर रखा गया है: सेतु और बँध। सेतु का मतलब होता है पुल और बँध का मतलब बाँधना। इस आसन में आप अपने शरीर को एक सेतु की मुद्रा में बाँध कर या रोक कर रखते हैं, इस लिए नाम रखा गया सेतुबंधासन। इस लेख में सेतुबंधासन के फायदों और उसे कैसे करें आदि के बारे में बताया है। साथ ही इस लेख में सेतुबंधासन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी जानकारी दी गई है।

सेतुबंधासन के फायदे

सेतुबंधासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।

✓छाती, गर्दन, और रीढ़ की हड्डी में खिचाव लाता है।

✓मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव और हल्के अवसाद  

   को कम करने में मदद करता है सेतुबंधासन।

✓पाचन में सुधार लाता है।

✓सेतुबंधासन पेट के अंगों, फेफड़ों और थायराइड को उत्तेजित करता है।

✓टाँगों को फिर से जीवंत बनाता है।

✓रजोनिवृत्ति के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है सेतुबंधासन।

✓मासिक धर्म में होने वाली परेशानी से राहत देता है।

✓सेतुबंधासन अस्थमा (दमा), हाई बीपी, ऑस्टियोपोरोसिस और साइनसाइटिस के लिए चिकित्सीय।

✓चिंता, थकान, पीठ दर्द, सिरदर्द, और अनिद्रा कम कर देता है।

सेतुबंधासन करने का तरीका

✓अपनी पीठ के बल फ्लैट लेट जायें। अपने बाज़ुओं को धड़ के साथ रख लें।

✓टाँगों को मोड़ कर पैरों को अपने कूल्हों के करीब ले आयें। जितना करीब हो सके उतना लायें।

✓हाथों पर वज़न डाल कर धीरे धीरे कूल्हों को उपर उठायें। ऐसा करते वक़्त श्वास अंदर लें।

✓पैरों को मज़बूती से टिका कर रखें। पीठ जितनी मोडी जाए, उतनी ही मोड़ें। अपनी क्षमता से ज़्यादा ना करें – अभ्यास के साथ धीरे धीरे आप ज़्यादा कर सकते हैं।

✓अब दोनो हाथों को जोड़ लें।

✓आपके लिए मुमकिन हो तो दृष्टि नाक पर केंद्रित करें वरना छत की ओर देख सकते हैं।

✓ इस मुद्रा में 5-10 सेकेंड रहें, फिर कूल्हों को वापिस ज़मीन पर टिकायं। नीचे आते वक़्त श्वास छोड़ें। हो सके तो 2 से 3 बार दौहरायें। अगर इतना ना हो तो जितना हो सके उतना करें।

✓आसान से बाहर निकालने के लिए विपरीत क्रम में स्टेप्स करें।

 सेतुबंधासन का आसान रूपांतर

✓अगर आपकी पीठ बहुत ही सख़्त है तो पीठ को कम मोड़ें।

✓अगर आपको अपने कूल्हों को उठाए रखने में परेशानी हो तो कमर के नीचे कुछ सपोर्ट के लिए लगा सकते हैं जैसे कोई छूटा स्टूल या कुर्सी।

सेतुबंधासन करने में क्या सावधानी बरती जाए 

✓अगर आपकी पीठ में चोट हो तो सेतुबंधासन ना करें।

✓अगर आपकी गर्दन में चोट हो तो सेतुबंधासन ना करें।

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