सभी जानवर चाहे वह फालतू हो या जंगली, अपनी प्रजाति के दूसरे जानवरों से तो लड़ते ही हैं, अन्य प्रजाति के जानवरों से भी लड़ते हैं। जब जंगली जानवर मनुष्य पर हमला करने लगते हैं और उसकी जिंदगी तबाह करने लगते हैं, तो उन्हें ‘आदमखोर’ (Man eater) की संज्ञा दी जाती है। उत्तराखंड की एक बाघिन ने लोगों पर हमला कर खुद को ‘आदमखोर’ बना लिया, लेकिन अब उसे आदमखोर की संज्ञा नहीं दी जा रही है। उस पर से इस ठप्पे को हटा लिया गया है। कारण बताया जाता है कि आखिरी हमले के बाद लगातार 55 दिनों तक किसी भी इंसान को निशाना नहीं बनाया। इसलिए इस बाघिन पर लगा ‘आदमखोर’ का ठप्पा वन विभाग ने हटा दिया है। इस बाघिन ने तीन महीने में छह लोगों की जान ले ली थी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
लगभग 3 माह में ग्रामीणों को बनाया था अपना शिकार
उत्तराखंड के रामनगर वन मंडल के फतेहपुर रेंज में 21 दिसंबर से 31 मार्च के बीच बाघिन ने छह ग्रामीणों को अपना शिकार बनाया था, जिसके बाद इसे आदमखोर घोषित कर दिया गया था। बाघिन ने पनियाली, दमुवा ढुंगा और बजुरिया हल्दू के घने जंगल में छह ग्रामीणों पर हमला किया और उन्हें मार डाला। उत्तराखंड के वन बल के प्रमुख (एचओएफएफ) विनोद कुमार सिंघल ने बताया कि हालांकि, यह बाघिन इंसानी रिहायश वाले क्षेत्र में नहीं गई, फिर भी उसको पकड़ने के प्रयास जारी हैं, ताकि उसकी स्वास्थ्य स्थिति की जांच की जा सके। उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए क्षेत्र में 50 कैमरे लगाए गए हैं।