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ACTION : NSE की पूर्व MD को CBI ने किया Arrest, इसके पहले…

ACTION : NSE की पूर्व MD को CBI ने किया Arrest, इसके पहले…

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Central Bureau of investigation (CBI) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व Managing Director और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर चित्रा रामकृष्ण को 6 मार्च की देर रात दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया। शनिवार को दिल्ली में सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने एनएसई ‘कोलोकेशन’ मामले में चित्रा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। हाल ही में सीबीआई ने उनसे एनएसई ‘कोलोकेशन’ मामले में पूछताछ की थी। इससे पहले आयकर विभाग ने चित्रा रामकृष्ण से जुड़े कई परिसरों पर मुंबई और चेन्नई में छापे मारे थे। चित्रा दरअसल मार्केट रेगुलेटर सेबी की जांच के घेरे में भी हैं।

आज राउस एवेन्यू कोर्ट में किया जाएगा पेश

सीबीआई ने उन्हें दिल्ली स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया। चित्रा को 7 मार्च यानी आज राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया जाएगा और एजेंसी पूछताछ के लिए उनकी हिरासत की मांग करेगी। इससे पहले गिरफ्तार हुए एनएसआई के पूर्व संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम भी छह मार्च तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया था।

2018 से सीबीआई कर रही मामले की जांच

सीबीआई मई 2018 से इस मामले की जांच कर रही है, लेकिन उन्हें रहस्यमय हिमालयी ‘योगी’ की पहचान करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, जिसके साथ चित्रा ने गोपनीय जानकारी साझा की थी। सेबी ने हाल ही में चित्रा पर 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। दरअसल सेबी के सामने आया था कि चित्रा ने 2014 और 2016 के बीच किसी काल्पनिक ‘योगी’ के साथ कथित तौर पर एनएसई के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की थी। इससे पहले सीबीआई ने एनएसई के सीओओ और चित्रा रामकृष्ण के सलाहकार आनंद सुब्रह्मण्यम को 24 फरवरी को हिरासत में लिया था। उन्हें चेन्नई से हिरासत में लिया गया था। इसके अलावा सीबीआई ने एक शेयर दलाल द्वारा ‘कोलोकेशन’ सुविधा के कथित दुरुपयोग की पहले से चल रही जांच के सिलसिले में एनएसई के पूर्व सीईओ रवि नारायण से भी पूछताछ की है।

चित्रा रामकृष्ण एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। उन्होंने 1985 में आईडीबीआई बैंक से अपने करियर की शुरुआत की थी। कुछ समय के लिए चित्रा ने सेबी में भी काम किया था। एनएसई की 1991 में हुई स्थापना में चित्रा की अहम भूमिका रही थी। तभी से वह वहां काफी प्रभाव से काम करती रहीं।

चित्रा दरअसल आर एच पाटिल की अगुवाई में बनी उस पांच सदस्यीय समिति में भी शामिल थीं जो हर्षद मेहता कांड सामने आने के बाद शेयर बाजारों को पारदर्शी बनाने के लिए गठित की गई थी।

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