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राष्ट्र विरोधी ताकतें हमारी संवैधानिक संस्थाओं के मंचों का कर रहीं इस्तेमाल: धनखड़

राष्ट्र विरोधी ताकतें हमारी संवैधानिक संस्थाओं के मंचों का कर रहीं इस्तेमाल: धनखड़

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भारत का बांग्लादेश जैसा होगा हाल की बात पर भड़के उपसभापति

New Delhi: राज्यसभा के उपसभापति जगदीप धनखड़ भारत का हाल भी बांग्लादेश जैसा होगा कहनेवालों पर भड़क गये। उन्होंने बिना किसी का नाम लिये उनकी आलोचना करते हुए चिन्ता जताते हुए कहा कि कैसे कोई भारत की तुलना बांग्लादेश से कर सकता है। धनखड़ ने ये बातें जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के प्लेटिनम जुबिली समारोह में कहीं।

धनखड़ ने कहा कि कैसे इस देश का नागरिक, जो संसद सदस्य रह चुका है और एक अन्य, जिसने कई विदेश सेवाएं देखी हैं, ऐसी बातें कर सकता है। ऐसा माना जा रहा जगदीप धनखड़ ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर पर निशाना साधा है। इन दोनों नेताओं ने भारत में भी बांग्लादेश जैसे हालात पैदा होने की बात कही थी। 

न्यायपालिका ऐसे निर्देश नहीं दे सकती, जो कानून से परे 

धनखड़ ने यह भी कहा कि राष्ट्र विरोधी ताकतें अपनी हरकतों को छिपाने या वैध बनाने के लिए हमारी संवैधानिक संस्थाओं के मंचों का इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि यह एकमात्र प्राथमिकता है और हम किसी भी चीज से पहले राष्ट्र के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि विधायिका फैसला नहीं लिख सकती, इसी तरह न्यायपालिका कानून नहीं बना सकती या ऐसे निर्देश नहीं दे सकती, जो कानून से परे हों। उन्होंने कहा कि संविधान में सभी संस्थाओं की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख है। अगर एक संवैधानिक संस्था के क्षेत्र में दूसरे का अतिक्रमण हो, तो यह खतरनाक होगा। 

संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बनाया जा रहा है 

उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र के लिए नापाक मंसूबेवालों से संस्थाओं को बचाने के लिए काम करें और अगर वे कुछ पैठ बनाने में कामयाब भी हो जाते हैं, तो चुप न रहें, उन्हें बेअसर करें। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि भारत विरोधी ताकतें हमारी प्रगति में बाधा डालने का प्रयास कर रही हैं। ये ताकतें हमारी संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बना रही हैं, उन्हें कलंकित और कमजोर कर रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की न्यायिक प्रणाली और उसकी कार्यक्षमता उसकी लोकतांत्रिक जीवंतता को परिभाषित करती है। किसी भी सरकार के लिए एक स्वतंत्र न्याय प्रणाली जरूरी है, क्योंकि यह जीवनरेखा है।

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