RJD Supremo लालू प्रसाद यादव
अभी सीबीआई और चारा घोटाला में मिली सजा के संकट को झेल ही रहे थे कि अब एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने भी उनकी ओर टेढ़ी नजर कर दी है। इसके पीछे के राजनीतिक मायने निकाले जा सकते हैं और लालू प्रसाद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, ऐसा स्वाभाविक रूप से दिख रहा है। की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। ED ने CBI के चारा घोटाले से संबंधित दो कांडों को टेक ओवर करते हुए मनी लांड्रिंग एक्ट में केस दर्ज किया है। इन कांडों में देवघर कोषागार से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी तथा दुमका कोषागार से 34.91 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का मामला शामिल है। गौरतलब है कि दोनों ही मामलों में CBI के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने 19 मार्च 2018 और 9 अप्रैल 2018 को इस केस के सभी अभियुक्तों के खिलाफ सजा सुनाई थी।
अभियुक्तों को हुई थी 7-7 साल की सजा
देवघर कोषागार से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में 19 में सभी अभियुक्तों को 7-7 साल के कारावास की सजा हुई थी। लालू प्रसाद यादव को 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा था। दुमका कोषागार से 34.91 करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले में कुल 37 अभियुक्त दोषी पाए गए थे। 17 अभियुक्तों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी।
इनके खिलाफ ED की जांच
लालू प्रसाद यादव, अजीत कुमार वर्मा, अरुण कुमार सिंह, विमल कांत दास, गोपीनाथ दास, कृष्णा कुमार प्रसाद, मनोरंजन प्रसाद, महिंदर सिंह बेदी, नंदकिशोर प्रसाद, नरेश प्रसाद, ओम प्रकाश दिवाकर, पंकज मोहन भुज, फूलचंद सिंह, पितांबर झा, राधा मोहन मंडल, राजकुमार शर्मा उर्फ राजा राम जोशी, रघुनंदन प्रसाद, राजेंद्र कुमार बगरिया और शरदेंदु कुमार दास शामिल हैं।
13 मृत अभियुक्तों की चल-अचल संपत्ति भी है जांच के दायरे में
चारा घोटाले के इन 13 मृत अभियुक्तों की चल-अचल संपत्ति भी जांच के दायरे में
बीबी प्रसाद (बजट अधिकारी), भोलाराम तूफानी (मंत्री), चंद्रदेव प्रसाद वर्मा (मंत्री), छठू प्रसाद (कोषागार पदाधिकारी), कालिका प्रसाद सिन्हा (एकाउंटेंट), के अरुमुगम (सचिव), महेंद्र प्रसाद (सप्लायर), राघवेंद्र कुमार दास (प्रशासनिक अधिकारी), राजेंद्र सिंह (पशुपालन पदाधिकारी), रामराज राम (निदेशक), एसएन सिंह (पशुपालन पदाधिकारी), श्याम बिहारी सिन्हा (संयुक्त निदेशक) और वसीमउद्दीन (पशुपालन पदाधिकारी)। CBI की रांची स्थित विशेष अदालत ने ED को आदेश दिया था कि इन अभियुक्तों ने जनवरी 1990 के बाद जो भी चल अचल संपत्ति बनाई है उसे जब्त कर लें।