America (अमेरिका) की एक प्रमुख वैश्विक रणनीति और वाणिज्यिक कूटनीति फर्म ने 5 अप्रैल को कहा कि भारत रूस से रक्षा (Defence) और ऊर्जा (Energy) खरीद के विकल्प पर अमेरिका की सलाह (Advice) पर नहीं चलेगा। बेशक भारत अपनी स्वतंत्र कूटनीति के प्रति प्रतिबद्ध है। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पर एक रिपोर्ट में, प्रतिष्ठित अलब्राइट स्टोनब्रिज ग्रुप (एएसजी) ने कहा कि उसने इसमें शामिल अधिकारियों से सुना है कि रूस के प्रति भारत के निष्पक्ष दृष्टिकोण से वे निराशा हैं। रिपोर्ट में लिखा गया है कि अमेरिकी सांसदों ने मास्को के साथ दिल्ली के संबंधों पर चिंता जताई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी विदेश मंत्री विक्टोरिया नुलैंड ने अप्रैल में होने वाली वार्षिक “2 + 2” बैठक से पहले दिल्ली का दौरा किया और कथित तौर पर भारतीयों से रूस के लिए वैकल्पिक रक्षा और ऊर्जा खरीद विकल्पों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया, लेकिन यह संभावना नहीं है कि भारत सरकार इस सलाह का पालन करेगी। कम से कम उतनी जल्दी नहीं, जितनी जल्दी वाशिंगटन चाहता है।
भारत के हित में नहीं रूसी सैन्य उपकरणों में निवेश करना : लाॅयड ऑस्टिन
गौरतलब है कि अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने 5 अप्रैल को सांसदों से कहा कि रूसी सैन्य उपकरणों में निवेश जारी रखना भारत के हित में नहीं है। हम ये सुनिश्चित करने के लिए उनके (भारत) के साथ काम करना जारी रखते हैं कि वे समझते हैं, हम मानते हैं कि रूसी उपकरणों में निवेश करना उनके हित में नहीं है और आगे बढ़ने की हमारी आवश्यकता यह है कि वे उन उपकरणों के प्रकारों को कम करें, जिनमें वे निवेश कर रहे हैं।
भारत के निर्णय की आलोचना
ऑस्टिन ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के पास दुनिया की बेहतरीन हथियार प्रणालियां और दुनिया की सबसे उन्नत हथियार प्रणालियां हैं। इसलिए हमारे पास कई क्षमताएं हैं, जो हम (भारत को) प्रदान कर सकते हैं या पेशकश कर सकते हैं। रक्षा सचिव ने ये जवाब जो विल्सन के एक प्रश्न के उत्तर में दिया है। कांग्रेस के करीबी माने जाने वाल जो विल्सन ने हाल ही में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर एक स्वतंत्र स्थिति लेने के भारत के निर्णय की आलोचना की है। विल्सन ने कहा कि, “भयानक रूप से, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, हमारा क़ीमती सहयोगी भारत ने अमेरिकी और संबद्ध विकल्पों पर रूसी हथियार प्रणालियों को चुनकर क्रेमलिन का साथ दिया है। “मुझे उम्मीद है कि आप भारत के महान लोगों के साथ काम करना जारी रखेंगे। अगर हम बिक्री पर कुछ प्रतिबंधों को हटा दें तो वे कितने अच्छे सहयोगी हो सकते हैं।”