PhD student of IIT-Madras Had Committed suicide : यह स्वीकार करने में किसे संकोच हो सकता है कि भारत कभी विज्ञान और ज्ञान के क्षेत्र में विश्व गुरु के रूप में देखा-समझा जाता था। बीच के इतिहास काल में अंधकार के हालात पैदा हुए और अब की मोदी सत्ता भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने का दावा करे, तो इसके आकलन का आधार तो तय करना ही होगा। हम भारत को कैसा विश्व गुरु बना रहे हैं, जिसमें हमारे देश के टॉप संस्थानों के तेज-तर्रार स्टूडेंट भी सुसाइड करने को मजबूर होते हैं। इस तरह की घटनाएं हर वर्ष जितनी संख्या में हो रही है, उसकी चिंता बड़ी है। हाल का मामला मद्रास आईआईटी से कुछ दिन पहले ही आया है।
5 सालों में 61 स्टूडेंट्स ने दी जान
एक आंकड़े के अनुसार, आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी जैसे टॉप एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स में छात्रों की मौत के मामले तेजी से बढ़े हैं। आखिरी पांच सालों में ये आंकड़ा 61 छात्रों की मौत तक पहुंच गया है। इस साल के शुरुआती तीन महीनों में ही आईआईटी और एनआईटी के 6-7 छात्र अपनी जान दे चुके हैं।
इस साल के शुरुआती 3 महीनों में आईआईटी मद्रास के 3 छात्रों की मौत
बता दें कि अकेले आईआईटी मद्रास ( Indian Institute of Technology-Madras ) में इस साल के शुरुआती तीन महीनों में ही तीन छात्रों की मौत हो चुकी है। ताजा मामला 31 मार्च का है, जब बंगाल के रहने वाले पीएचडी स्कॉलर ने अपने रूम में फांसी लगाकर जान दे दी थी। उसने जान देने से पहले वॉट्सऐप स्टेटस भी अपडेट किया था, जिसमें लिखा था, ‘I’m Sorry, Not Good Enough’। उसका ये स्टेटस उसके मनोवैज्ञानिक दबाव में होने की ओर इशारा करता है। जान देने वाले पीएचडी स्कॉलर की उम्र 32 साल थी और नाम सचिन कुमार जैन।
साथियों ने पहुंचाया था अस्पताल, हो चुकी थी मौत
सचिन IIT Madras के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ( Mechanical Engineering Department at IIT Madras ) से पीएचडी कर रहा था। उसके साथियों ने बताया कि वो कैंपस से लौटा था और परेशान लग रहा था। हालांकि साथियों को लगा कि वो परेशान है, तो अपने कमरे में आराम करने गया होगा। लेकिन, जब उन्होंने उसका वॉट्सऐप स्टेटस देखा, तो उनके होश उड़ गए। साथी छात्र भागकर सचिन के कमरे में पहुंचे और उसे तुरंत एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।