Kerala (केरल) विधानसभा ने 16 मार्च को सर्वसम्मति से लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के विनिवेश (Disinvestment) के मोदी सरकार के फैसले खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। 140 सदस्यीय विधानसभा चाहती थी कि केंद्र यह सुनिश्चित करे कि एलआईसी सार्वजनिक क्षेत्र में बनी रहे। नियम 118 के तहत प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि निजी निवेशकों के हितों के लिए एलआईसी छोड़ना राष्ट्रीय हित के खिलाफ है और इसलिए केंद्र को इस पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
उचित विचार विमर्श के बिना फैसला
सीएम विजयन ने कहा, “केंद्र ने एलआईसी अधिनियम को वित्तीय विधेयक में शामिल करके और संसद में उचित विचार-विमर्श के बिना संशोधित किया।” एलआईसी की वित्तीय स्थिति पेश करते हुए विजयन ने कहा कि एलआईसी की संपत्ति 38,04,610 करोड़ रुपये आंकी गई है, जो केंद्र सरकार के एक साल के बजट अनुमान के बराबर है। उन्होंने कहा कि एलआईसी का लाभ जो हर साल औसतन चार लाख करोड़ रुपये से अधिक है, देश के विकास के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और अब तक एलआईसी ने 36,76,170.31 करोड़ रुपये का निवेश किया है।