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आरसीपी से नजदीकी पड़ी भारी :  अजय आलोक समेत चार नेता जदयू से किए गए निलंबित, लगाया पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप

आरसीपी से नजदीकी पड़ी भारी :  अजय आलोक समेत चार नेता जदयू से किए गए निलंबित, लगाया पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप

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केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का पर कतरने के बाद जनता दल यूनाइटेड ने पार्टी में उनके करीबियों पर भी कड़ा एक्शन लिया है। मंगलवार को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में जनता दल यूनाइटेड ने प्रवक्ता अजय आलोक, प्रदेश महासचिव अनिल कुमार और विपिन कुमार यादव तथा समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जितेंद्र नीरज को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने मंगलवार को उपर्युक्त नेताओं के निलंबन का आदेश जारी करते हुए कहा कि ये नेता का पार्टी की विचारधारा के विरुद्ध कार्यक्रम चला रहे थे।  महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बाद भी ये नेता कार्यकर्ताओं को दिग्भ्रमित कर रहे थे।

अभी और कुछ नेताओं पर हो सकती है कार्रवाई

उमेश कुशवाहा ने कहा कि इनमें से कुछ लोगों को व्यक्तिगत तौर पर इस तरह की गतिविधियों से दूर रहने की सलाह दी गई थी, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ। दूसरी तरफ अजय आलोक ने कहा कि इस फैसले के बाद पार्टी के साथ मेरा 9 साल पुराना संबंध खत्म हो गया। माना जा रहा है कि अभी और भी कुछ नेताओं को पार्टी से निलंबित किया जा सकता है। इन चारों नेता के निलंबन की कार्रवाई को आरसीपी सिंह के लिए चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में राज्यसभा के लिए टिकट कटने के बाद आरसीपी ने कहा था कि वह भविष्य में संगठन में काम करेंगे। माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें संकेत देना चाहती है कि वह संगठन में समानांतर तरीके से नेतृत्व उभारने की कोशिश न करें।

मंत्री बनने के बाद बढ़ी नीतीश- आरसीपी के बीच दूरी 

आरसीपी सिंह का भी राज्यसभा टिकट काटने के बाद पटना में वह जिस बंगले में रह रहे थे उसे भी एमएलसी संजय गांधी को अलॉट कर दिया गया है। आरसीपी सिंह कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी थे, लेकिन कई मुद्दों पर भाजपा के सुर में सुर मिलाने के कारण पार्टी में उनके खिलाफ नाराजगी थी। नीतीश के साथ आरसीपी के साथ संबंधों में कड़वाहट तभी से आने लगी, जब वह केंद्रीय मंत्री बने। नीतीश ने उन्हें केंद्र सरकार में जेडीयू के शामिल होने को लेकर बीजेपी से बातचीत के लिए अधिकृत किया था। पार्टी को उम्मीद थी कि मोदी सरकार में उसे कैबिनेट की दो बर्थ मिलेगी, लेकिन आरसीपी एक ही मंत्री पद की बात पर सहमत हो गए। इसके बाद वह केंद्रीय मंत्री बन गए और पार्टी अध्यक्ष का पद ललन सिंह को मिल गया।

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