न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार की अध्यक्षता वाली कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कलकत्ता विश्वविद्यालय की परीक्षा से जुड़े मामले में स्पष्ट तौर पर कहा की किसी भी विश्वविद्यालय में परीक्षाएं कैसे ली जाएंगी यह छात्र नहीं तय कर सकते हैं। यह काम विश्वविद्यालय का है। उसे ही तय करना है की परीक्षा कब कहां और कैसे होगी। क्योंकि परीक्षा आयोजित करने की सारी जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों की होती है। इस मामले में कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कलकत्ता विश्वविद्यालय की परीक्षाएं ऑफलाइन ही होंगी। इसके पहले 21 जून को न्यायमूर्ति तालुकदार की पीठ में इस मामले की सुनवाई हुई थी। उस दौरान वादी के वकीलों ने परीक्षा ऑनलाइन लेने की मांग की थी, क्योंकि शैक्षणिक वर्ष में 180 दिनों तक पढ़ाई लिखाई नहीं हुई थी।
परीक्षा का माध्यम चुनने का अधिकार छात्रों को नहीं
इस मामले के फैसले में कोर्ट ने कहा कि परीक्षा उसी माध्यम से कराई जाएगी, जिसके जरिए विश्वविद्यालय ने परीक्षा देने का फैसला किया है। छात्रों को परीक्षा का माध्यम चुनने का अधिकार नहीं है। बताते चलें कि कलकत्ता विश्वविद्यालय ने 2022 की परीक्षा ऑफलाइन लेने का फैसला किया है। छात्रों ने इसके खिलाफ यूनिवर्सिटी के सामने प्रदर्शन किया। इस बीच एक छात्र ने ऑनलाइन परीक्षा लेने की मांग करते हुए न्यायमूर्ति कौशिक चंद की खंडपीठ में याचिका दायर किया था, जिसे सुनवाई के बाद जस्टिस में ने मामले को खारिज कर दिया है।