एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) के परीक्षण पूरे होने के बाद अब इनके उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है। इस सिस्टम के आ जाने के बाद भारतीय सेना को और मजबूती मिलेगी। पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में तीन दिन तक चले 155 मिमी. 52 कैलिबर की आर्टिलरी गन का परीक्षण सोमवार को खत्म हो गया। भारतीय सेना ने पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित एटीएजीएस का परीक्षण इसी साल मार्च से शुरू किया था। परीक्षण खत्म होने के बाद फायरिंग से जुड़े आकलनों के बाद परियोजना की गहन समीक्षा की जाएगी।
डीआरडीओ 2013 में शुरू की थी यह परियोजना
डीआरडीओ ने भारतीय सेना में पुरानी तोपों को बदलने के लिए पूरी तरह स्वदेशी आधुनिक 155 मिमी. आर्टिलरी गन की परियोजना 2013 में शुरू की थी। इसे पहली बार 26 जनवरी, 2017 को 68वें गणतंत्र दिवस परेड में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया था।एटीएजीएस ने 2017 में 47.2 किलोमीटर की दूरी तक राउंड फायर करके 155 मिमी. तोप का पिछला विश्व रिकॉर्ड तोड़ा था।
बैरल फटने से तीन विशेषज्ञ घायल हो गए थे
विकास परीक्षण पूरे होने के बाद सितम्बर, 2020 में उपयोगकर्ता परीक्षण के दौरान राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में एक बैरल फटने से तीन विशेषज्ञ घायल हो गए जिसकी जांच के लिए एक समिति गठित की गई। नवम्बर, 2020 में जांच के बाद आगे के परीक्षणों के लिए मंजूरी मिलने के बाद भारतीय सेना ने फिर इसी साल मार्च से एटीएजीएस के परीक्षण शुरू किये।
इन हर मिनट कर सकती है फायरिंग
इन परीक्षणों के दौरान टैंक के आकार और लक्ष्यों पर दिन-रात की फायरिंग, पांच राउंड बस्ट के लिए परीक्षण, लगभग तीन मिनट में 15 राउंड की रैपिड-फायर दर और हर घंटे 60 राउंड की निरंतर फायरिंग क्षमता आंकी गई है। इस दौरान रेगिस्तान में रेत के टीलों पर नेविगेशन के साथ और 70 सड़कों पर हाई-स्पीड ट्रायल हुए हैं। आखिरी दौर के परीक्षण 26 अप्रैल से 2 मई के बीच किये गए हैं।
भारत फोर्ज और टाटा पावर एसईडी ने बनाया
स्कूल ऑफ आर्टिलरी की ट्रायल विंग ने इन परीक्षणों को अंजाम दिया है, जिसके बाद एक व्यापक रिपोर्ट सेना प्रशिक्षण कमान को भेजी जाएगी ताकि भविष्य की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जा सके। एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) 155 मिमी/52 कैलिबर हॉवित्जर है जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय सेना के लिए विकसित किया है। एटीएजीएस को भारत फोर्ज लिमिटेड और टाटा पावर एसईडी कम्पनियों ने निर्मित किया है।