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अरुणाचल से हिंद महासागर तक चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने को भारत की  ‘टेट्रा’ सेना तैयार

अरुणाचल से हिंद महासागर तक चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने को भारत की  ‘टेट्रा’ सेना तैयार

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चालबाज चीन से निपटने के लिए भारत वह सभी प्रयास कर रहा है जो उसके लिए संभव हो पा रहा है। भारत किसी भी सूरत में चीन को बख्शने के मूड में नहीं है। भारत चीन की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए है। अब अरुणाचल प्रदेश से लेकर हिंद महासागर तक में चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए भारतीय रक्षा बलों की चार ऑपरेशनल कमांड एक साथ आ गयीं हैं, जिन्हें ‘टेट्रा’ कहा जा रहा है। इनमें तीनों सेनाओं की पूर्वी कमान और पोर्ट ब्लेयर स्थित देश की एकमात्र परिचालन त्रि-सेवा अंडमान और निकोबार कमांड शामिल हैं। इन कमांडों के कदम को एकीकृत थिएटर कमांड के निर्माण की दिशा में मजबूत कदम के रूप में भी देखा जा रहा है।

चीनी मोर्चे पर परिचालन तैयारियां हो रहीं मजबूत

चीन के मोर्चे पर परिचालन तैयारियों को और मजबूत करने के लिए तीनों सेनाएं आपस में संयुक्तता और एकीकरण बढ़ाने के लिए एक साथ आईं हैं। चार कमांडों में कोलकाता स्थित पूर्वी सेना कमान, विशाखापत्तनम स्थित पूर्वी नौसेना, शिलांग स्थित पूर्वी वायु सेना और पोर्ट ब्लेयर स्थित देश की एकमात्र परिचालन त्रि-सेवा अंडमान और निकोबार कमांड शामिल हैं। दरअसल, लगभग तीन साल पहले सैन्य मामलों के विभाग और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित करने के साथ तीनों सेनाओं को एकीकृत करके थिएटर कमांड बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।

बाधाओं को दूर करने पर हुई गहन चर्चा

भारतीय सेना की पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल बी दासगुप्ता, वायु सेना के एयर मार्शल डीके पटनायक, अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अजय ने पिछले हफ्ते शिलांग में मुलाकात की थी। इन कमांड प्रमुखों ने उत्तरी मोर्चे पर चुनौतियों से निपटने के लिए सभी मतभेदों और बाधाओं को दूर करने के तरीकों पर चर्चा की थी। चारों कमांड देश की सुरक्षा के लिए उत्तर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लेकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बीच में बंगाल की खाड़ी के साथ देश के सबसे दक्षिणी भूभाग तक की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं और इन सभी क्षेत्रों में चीनी पक्ष से एक समान खतरा है।

तीनों सेनाएं मिलकर कर रहीं काम

चीन के साथ दो साल पहले शुरू हुए सैन्य गतिरोध के मद्देनजर यही चारों कमांड उच्च स्तरीय परिचालन तैयारियां बनाए हुए हैं। पूर्वी वायु कमांड तैयारियों को बढ़ाने के लिए नौसेना और सेना के समकक्षों के साथ मिलकर काम कर रही है। केंद्र ने पिछले कुछ वर्षों में सशस्त्र बल और बुनियादी ढांचे के निर्माण के मामले में पूर्वोत्तर क्षेत्र को भी काफी मजबूत किया है। पूर्वी क्षेत्र में ही वायु सेना ने सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू बेड़े का समर्थन करने के लिए हाशिमारा में राफेल लड़ाकू जेट के एक स्क्वाड्रन तैनात की है। वायु सेना ने रूस से मिल रही एस-400 वायु रक्षा प्रणाली को अगले कुछ हफ्तों में असम सेक्टर में तैनात किये जाने की योजना बनाई है।

17 माउंटेन स्ट्राइक कोर आक्रमण के लिए तैनात

भारतीय सेना की 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर अब पूरी तरह से पूर्वोत्तर में आक्रामक अभियानों के लिए तैनात है। इसे और अधिक मजबूत करने के लिए हाल ही में एक अतिरिक्त डिवीजन तैनात की गई है। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सेक्टर में पिछले दो साल से सैन्य गतिरोध चल रहा है। मुद्दों को हल करने के लिए दोनों पक्षों के बीच वरिष्ठ कमांडरों के स्तर पर बातचीत चल रही है लेकिन भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के किसी भी दुस्साहस को रोकने के लिए कोई मौका चूकना नहीं चाहता है।

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