रिम्स में इलाजरत राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से पार्टी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने शनिवार को मुलाकात की। उनके साथ झारखंड प्रदेश राजद अध्यक्ष संजय सिंह यादव भी थे। मुलाकात करने के बाद मीडिया से शिवानंद तिवारी ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की तबीयत फिलहाल ठीक है। उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि लालू को अदालत से भी जल्द ही जमानत भी मिल जाएगी। इस बार की होली लालू अपने परिवार के साथ ही मनाएंगे।
मोदी राज में अमन चैन का अभाव
शिवानंद ने कहा कि पीएम मोदी महंगाई वह बेरोजगारी पर अंकुश नहीं लगा पाए। समाज में अमन-चैन का अभाव हो गया है। सौहार्दपूर्ण वातावरण में ही देश का विकास संभव है। यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेवजह इतरा रहे हैं। सपा गठबंधन काफी मजबूती के साथ उभरा है। पहले की तुलना में इसबार अधिक सीटें आई हैं। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी के गठबंधन का वोट प्रतिशत भी काफी बढ़ा है। राज्य के चुनाव और देश के चुनाव में अंतर होता है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भ्रम में नहीं रहें।
पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों को सम्मान दिलाया
उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम के बाद बिहार भाजपा व एनडीए के घटक दल विकासशील इंसान पार्टी के बीच जारी बयानबाजी पर भी राजद नेता शिवानंद तिवारी ने खुलकर बात की। वीआइपी पार्टी के अध्यक्ष और बिहार सरकार के मंत्री मुकेश सहनी के लिए बयान- ‘लालू हमारे दिल में रहते हैं। इस पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि लालू यादव ने पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों और गरीबों को सम्मान दिया। उनके कारण ही वंचितों को खटिया पर बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, इसलिए इस तबके से आनेवाले हर व्यक्ति के दिल में लालू बसते हैं। आज जीतनराम माझी और मुकेश सहनी जैसे नेता भले ही कहीं और हैं, लेकिन उनके दिल में लालू ही बसते हैं। सभी उन्हें सम्मान देते हैं। शिवानंद ने कहा कि शायद इसी वजह से मुकेश सहनी ने यह बयान दिया है।
रांची से ही राजनीतिक करियर शुरू हुआ
शिवानंद तिवारी ने अपने झारखंड कनेक्शन की याद ताजा करते हुए कहा कि 1964 में रांची से ही उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ था। तब वह यहां रांची के एक स्कूल के छात्र हुआ करते थे। 1964-65 में लोहिया जी के नेतृत्व में पूरे उत्तर भारत में अंग्रेजी के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा था। रांची में भी कार्यक्रम जोर शोर से चल रहा था। इसमें वह भी शामिल थे। अंग्रेजी में लिखे गए साइन बोर्ड पर कालिख पोत कर विरोध जताया करते थे। इतना ही नहीं 1965 में रांची से ही उनकी शादी भी तय हुई थी।