CJI Justice UU Lalit : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में 27 अगस्त को न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित (Justice UU Lalit) को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पद की शपथ दिलाई। Justice UU Lalit देश के 49वें चीफ जस्टिस हैं। उन्होंने जस्टिस एनवी रमना का स्थान लिया है, जो 26 अगस्त को रिटायर हो गए।
वरिष्ठ वकील के रूप में की है प्रैक्टिस
जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। जस्टिस के रूप में अपनी पदोन्नति से पहले उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में एक वरिष्ठ वकील के रूप में अभ्यास किया था। जस्टिस ललित अब तक सीधे सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होने वाले छठे वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। जस्टिस ललित दूसरे CJI हैं, जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की बेंच में पदोन्नत किया गया है।
पिता भी थे जज
9 नवंबर 1957 को जन्मे जस्टिस यूयू ललित के पिता भी जज थे। उनके पिता यूआर ललित बॉम्बे हाई कोर्ट में सेवाएं दी हैं। जस्टिस यूयू ललित को 13 अगस्त 2014 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। अब तक के अपने कार्यकाल में जस्टिस यूयू ललित कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जिसमें तत्काल ‘तीन तलाक’ भी शामिल है। पांच जजों की पीठ में 3-2 के बहुमत से इस पर फैसला हुआ था और जस्टिस ललित ने ‘तीन तलाक’ को असंवैधानिक करार दिया था।
अन्य महत्वपूर्ण फैसले
एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने त्रावणकोर के तत्कालीन शाही परिवार को केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन करने का अधिकार दिया था। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही फैसला सुनाया था कि किसी बच्चे के अंगों को छूना या ‘यौन इरादे’ से शारीरिक संपर्क से जुड़े किसी कार्य को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 7 के तहत ‘यौन हमला’ माना जाए।