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National: हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से रामसेतु को लेकर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, जानें किस बात को लेकर दायर की गई थी याचिका 

National: हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से रामसेतु को लेकर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, जानें किस बात को लेकर दायर की गई थी याचिका 

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National news, national update, New Delhi news, supreme court, ram setu : देश के शीर्ष कोर्ट (supreme court) ने राम सेतु मामले से जुड़ी हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड की दो याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई। पहली याचिका में राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की गई थी। वहीं दूसरी याचिका में राम सेतु के ऊपर दोनों ओर दीवार बनाने की मांग को पूरी करने की याचिका दाखिल की गई थी। 

पहली याचिका दोनों तरफ दीवार बनाने को

सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड नाम की एक संस्था के अध्यक्ष अशोक पांडे ने दाखिल की थी। इसमें यचिकाकर्ता की मांग थी कि धनुषकोडी के पास समुद्र में रामसेतु के ऊपर 100 मीटर तक और अगर संभव हो तो एक किलोमीटर तक दीवार बनाने का निर्देश दिया जाए। इस पर उच्चतम न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए सवाल पूछा।

याचिकाकर्ता से सुप्रीम कोर्ट ने पूछे ये सवाल

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए याचिका लगाने वाले से पूछा कि आखिर दोनों तरफ दीवार कैसे बनाई जा सकती है? इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि एक तरफ बनाई जाए। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले  में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह एक प्रशासनिक फैसला है। इसलिए कोर्ट दीवार बनाने का निर्देश कैसे दे सकता है? बता दें कि कोर्ट ने इस जनहित याचिका को एक अन्य याचिका के साथ टैग करने से भी मना कर दिया। इसमें स्मारक को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

राम सेतु के दर्शन से मोक्ष की गारंटी 

याचिका में कहा कि इस पुल को आम तौर पर श्री राम सेतु के नाम से जाना जाता है। सेतु के दर्शन से ही मोक्ष प्राप्त करने की गारंटी मिलती है। याचिका में कहा कि मौजूदा भारत सरकार राम राज लाने के एजेंडे पर काम करने का दावा करती है। ऐसा तब-तक संभव नहीं है, जब तक कि कोई दीवार खड़ी करके श्रद्धालु ऑन के लिए राम सेतु के दर्शन का प्रबंधन न किया जाए।

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