केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में 200 जनजातीय युवाओं से संवाद किया
National news, new Delhi news: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित ‘जनजातीय युवा एक्सचेंज कार्यक्रम’ के तहत 200 जनजातीय युवाओं से संवाद किया। इस मौके पर शाह ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार के प्रयासों का उदाहरण दिया। साल 2014 के पहले तक की सरकारों ने उग्रवादी घटनाओं पर लगाम लगाने का उचित प्रयास नहीं किया, जिसका असर समाज में हिंसा और युवाओं के रोजगार पर पड़ा। अमित शाह का स्पष्ट मानना है कि, ‘हिंसा से रोजगार नहीं मिलेगा, जनजातीय समाज के विकास और आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए उनका समाज की मुख्यधारा से जुड़ना ज़रूरी है।’
वामपंथी उग्रवाद देश के लिए नासूर बना रहा
आज़ादी के बाद दशकों तक वामपंथी उग्रवाद देश के लिए नासूर बना रहा। किसी भी सरकार ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए कोई जन-कल्याण योजना नहीं चलाई। जनजातीय समुदाय के बच्चों का भविष्य बद से बदतर होता चला गया। लेकिन आज शाह की नीतियों के तहत वामपंथी उग्रवाद-प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल टॉवर, सड़क और अन्य ज़रूरी सुविधाएं पहुंचाने का काम तेजी से किया जा रहा है। देश की जनता ने देखा है कि सरकार के विरोध में हथियार उठाने और देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वर्षों से वामपंथी उग्रवादियों ने जनजातीय युवाओं को उकसाने का काम किया है। युवाओं के लिए यह समझना बेहद आवश्यक है कि वामपंथी उग्रवादी और उनकी विचारधारा देश के विकास और उज्जवल भविष्य के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा हैं। ऐसे में यह ज़रूरी है कि जनजातीय युवा वर्ग वामपंथी उग्रवाद की विचारधारा को खत्म करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
जनजातियों के लिए हर क्षेत्र में संभावनाएं मौजूद
साल 2014 के पहले तक उग्रवाद के कारण होने वाली घटनाएं चरम पर थी। ज़ाहिर है कि ऐसे में प्रभावित राज्यों में हिंसा भी अत्यधिक थी, जिसका सीधा प्रभाव वहां मौजूद रोजगार के अवसरों पर पड़ा। 2015 में जारी वामपंथी उग्रवाद उन्मूलन अधिनियम का उद्देश्य ही जनजातीय बहुल इलाकों में आधारभूत ढांचे का निर्माण करना है। मोदी सरकार के आने के साथ ही आधारभूत ढाँचे के को सुदृढ़ किए जाने के प्रयास शुरू कर दिए गए। अंत्योदय की राजनीति करने वाले दिग्गज नेता शाह यह मानते हैं कि ‘जनजातीय युवाओं को पूरे देश में होने वाले विकास के विषय में जागरूक होने की नितांत आवश्यकता है। उनके लिए यह जानना ज़रूरी है कि किस तरह देश हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है और जनजातियों के लिए हर क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
मोदी जी की दूरदर्शिता और अमित शाह के कुशल प्रबंधन में 200 करोड़ रूपए की लागत से देश के स्वाधीनता संग्राम में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में देश भर में 10 जनजातीय संग्रहालय बनाने का निर्णय एक अभूतपूर्व फैसला है। अमृतकाल में मोदी जी के ऐतिहासिक फैसले की वजह से आज एक जनजातीय महिला श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी देश की राष्ट्रपति हैं। बीते 9 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में जनजातीय समुदाय के लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सड़क निर्माण, दूरसंचार, कौशल विकास, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में कई कदम उठाए जा रहे हैं।