National news, women reservation bill: महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) अब कानून बन गया है। शुक्रवार 29 सितम्बर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर दस्तखत कर दिये। इसके साथ ही सरकार ने गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। अब इस बिल के कानून बन जाने से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जायेंगी। हालांकि, आरक्षण नयी जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किया जायेगा। अब यह बिल विधानसभाओं में भेजा जायेगा। इसे लागू होने के लिए देश की 50% विधानसभाओं में पास होना जरूरी है। लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं, नारी शक्ति वंदन कानून के तहत लोकसभा में 181 महिला सांसद
रहेंगी।
सरकार ने 05 दिन का स्पेशल सत्र बुलाया था
सरकार ने 18 से 22 सितम्बर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया था। इसका एजेंडा नहीं बताया गया था, इसको लेकर विपक्ष ने आलोचना भी की थी। 18 सितम्बर की रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग बुलायी गयी। मीटिंग के बाद कोई प्रेस ब्रीफिंग नहीं की गयी। अंदरखाने से खबर आयी कि सरकार 19 सितम्बर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल ला सकती है। बात सही निकली। 19 सितम्बर को सरकार ने लोकसभा में नारी शक्ति वंदन बिल पेश कर दिया।20 सितम्बर को लोकसभा में बिल पर 7 घंटे चर्चा हुई। इसमें 60 सांसदों ने भाग लिया। शाम को पर्ची से हुई वोटिंग में बिल पास हो गया। समर्थन में 454 और विरोध में 02 वोट पड़े। 21 सितम्बर को बिल पर राज्यसभा में चर्चा हुई। यहां बिल सर्वसम्मति से पास हो गया और किसी ने बिल के खिलाफ वोट नहीं दिया। हाउस में मौजूद सभी 214 सांसदों ने बिल का समर्थन किया था।
पहले दिन पेश हुआ था बिल
नयी संसद में कामकाज के पहले दिन पेश हुआ था बिल
नयी संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितम्बर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया। इस बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जायेगा। लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जानेवाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।
60 सांसदों ने अपने विचार रखे थे
लोकसभा में बिल पर चर्चा में 60 सांसदों ने अपने विचार रखे। राहुल गांधी ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना यह बिल अधूरा है। इस पर अमित शाह ने कहा कि यह आरक्षण सामान्य, एससी और एसटी में समान रूप से लागू होगा। चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिमिटेशन होगा और महिलाओं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी। विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आयेगा।
परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल
नये विधेयक में सबसे बड़ा पेंच यह है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा। 2024 में होनेवाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असम्भव है। इस फॉर्मूले के मुताबिक विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए, तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है।
तीन दशक से पेंडिंग था महिला आरक्षण बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 03 दशक से पेंडिंग था। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था।
तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग था।