देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बल अब उच्च तकनीक के सहारे नक्सलियों पर नजर रख रहे हैं। साथ ही नक्सलियों के गढ़ में बड़े अभियान के लिए उपग्रह निगरानी प्रणाली की भी मदद ले रहे हैं। उच्च क्षमता के ड्रोन की संख्या बढ़ाने की भी योजना है। अधिकरियों का कहना है कि अत्याधुनिक ड्रोन के साथ-साथ उपग्रह की तस्वीर का उपयोग नक्सलियों की आवाजाही और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कारगर है। पुराने यूएवी को उन्नत और नए यूएवी का उपयोग करने की भी योजना बनाई गई है ताकि कई स्तरों से सूचनाओं को एकत्र किया जा सके।
केंद्र और राज्य मिलकर चला रहे हैं अभियान
नक्सल क्षेत्रों में अलग-अलग जगहों पर केंद्र व राज्य बलों के समन्वय से अभियान चल रहा है। उपग्रह के जरिये सीधी तस्वीर सुरक्षाबलों को उनके कंट्रोल रूम तक मुहैया कराई जाती है। उसके बाद उपग्रह निगरानी प्रणाली के जरिए सुरक्षाबलों को अभियान के लिए उन तस्वीरों को साझा किया जाता है। इससे नक्सलियों की मौजूदगी का सटीक पता चलता है। उपग्रह निगरानी प्रणाली का इस्तेमाल रास्ते के सटीक जानकारी के लिए भी किया जाता है।
नक्सली घटनाओं में आई है कमी
तकनीकी, अत्याधुनिक हथियार और पुख्ता खुफिया सूचनाओं से नक्सलियों पर नकेल कस गया है। इससे नक्सली घटनाओं में कमी आई है। हिंसा की घटनाएं 2009 में 2,258 के उच्चतम स्तर से 70% कम होकर वर्ष 2020 में 665 रह गई हैं। मौतों की संख्या में भी 82% की कमी आई है जो वर्ष 2010 में दर्ज 1,005 के उच्चतम आंकड़े से घटकर वर्ष 2020 में 183 रह गई हैं। नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या भी वर्ष 2010 में 96 से वर्ष 2020 में घटकर सिर्फ 53 तक सीमित रह गई है।