Ajmer Sharif Dargah। ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा, ताजमहल और कुतुब मीनार के हिंदू धर्म स्थल होने का विवाद अब अजमेर शरीफ दरगाह तक पहुंच गया है। हिंदूवादी संगठन महाराणा प्रताप सेना ने दावा किया है कि अजमेर में हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में स्वास्तिक सहित कई हिंदू प्रतीक चिन्ह है। इसका सर्वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से कराया जाना चाहिए। महाराणा प्रताप सेना के राजवर्धन सिंह परमार ने दावा किया कि दरगाह की दीवारों और खिड़कियों में हिंदू धर्म से संबंधित प्रतीक हैं। राजवर्धन सिंह परमार के इस दावे को दरगाह की खादिम कमेटी ने खारिज करते हुए कहा कि दरगाह में कोई भी स्वास्तिक का निशान नहीं है।
प्राचीन मंदिर को बना दिया गया दरगाह
महाराणा प्रताप सेना ने दावा किया है कि “ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह अतीत में एक प्राचीन मंदिर था। इसे तोड़कर दरगाह बना दिया गया। दीवारों और खिड़कियों पर स्वस्तिक चिन्ह हैं। ऐसे में भारतीय पुरातत्व विभाग से इसका सर्वे कराया जाना चाहिए। खादिम कमेटी अंजुमन सैयद जदगन के अध्यक्ष मोइन चिश्ती ने कहा कि महाराणा प्रताप सेना का दावा बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के करोड़ों लोग दरगाह में आते हैं। उन्होंने कहा कि यह दरगाह 850 साल से है।