Bihar (बिहार) में पॉलिटिकल टग ऑफ वार यानी सियासी रस्साकशी अपने खास मिजाज की है। यहां पक्ष-विपक्ष की तो एक लड़ाई है ही, पक्ष की मित्र पार्टियों की भी अलग तरीके की लड़ाई है। जब सत्ता के लिए भाजपा बड़े भाई की भूमिका निभाने का परिचय देने लगती है, तो जदयू की भौहें तन जाती हैं और वह यह साफ जताने की पुरजोर कोशिश करता है कि बिहार में जनता के नेता नीतीश ही हैं। वह किसी की कृपा पर आश्रित नहीं हैं। आजकल कुछ इस ढंग की स्थिति ज्यादा ही उभरी हुई बिहार में दिख रही है। जेडीयू और बीजेपी के बीच जुबानी जंग रुक नहीं रही है। इसी कड़ी में 9 अप्रैल को जेडीयू ने एक बार फिर जोरदार ढंग से बिहार में जातीय जनगणना कराने की मांग उठाई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एक सुर में कहा कि हम कभी भी नेतृत्व से समझौता नहीं करेंगे। हम सबके नेता नीतीश कुमार हैं और आगे भी रहेंगे। नीतीश कुमार किसी की कृपा पर नहीं, बल्कि जनता के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री बने हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कल जो कहा था
गौरतलब है कि 8 अप्रैल को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डाॅ. संजय जायसवाल ने कहा था कि 2020 के विधानसभा चुनाव के वक्त ही यह तय हो गया था कि हमारे एनडीए गठबंधन में नीतीश कुमार हमारे मुख्यमंत्री रहेंगे। 2025 तक नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज कोई व्यक्ति 2025 के बाद की बात कर रहा है, जो कि अभी गठबंधन किन-किन दलों का और कैसे,हम आगे की रूपरेखा बनाएंगे, यह तय नहीं है। संजय जायसवाल ने कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा आज तक एक दल में पांच साल नहीं रहे हैं, इसलिए पहले वह वादा करें कि 2025 के बाद भी वह जदयू में ही, एनडीए में ही रहेंगे तथा नीतीश जी को ही नेता मानेंगे।