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पहली बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को किया संबोधित, जानें किन-किन बातों पर उन्होंने किया फोकस

पहली बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को किया संबोधित, जानें किन-किन बातों पर उन्होंने किया फोकस

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National news : पहली बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम देश को संबोधित किया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने देश के तमाम स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि 76वें स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) की पूर्व संध्या पर देश-विदेश में रहने वाले भारतीयों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। 14 अगस्त के दिन को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण व एकता को बढ़ावा देना है। हमारा यह संकल्प है कि साल 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे। इस दिशा में लगातार हम आगे बढ़ रहे हैं।

आधी आबादी और जनजातीय समुदाय

उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत-योग्य है। हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। 

मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान

कोरोना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमने अपने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा और सशक्त टीकाकरण अभियान आरंभ किया। पिछले महीने हमने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से ज्यादा रही।  जब दुनिया कोरोना महामारी के गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी, तब भारत ने स्वयं को संभालने के साथ-साथ पूरी दुनिया को मदद भी की।  

बेटियों पर टिकीं हैं देश की उम्मीदें 

राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में महामहिम ने कहा कि आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थ-व्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं। इसके मूल में सुशासन पर विशेष बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है। भारत के नए आत्मविश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और महिलाएं हैं। महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए लगातार आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है। हमारे देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं. समुचित अवसर मिलने पर वे शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं. हमारी बेटियां फाइटर पायलट से लेकर स्पेस साइंटिस्ट होने तक हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं।

पर्यावरण की रक्षा हम सबकी जिम्मेदारी

महामहिम ने कहा कि आज पर्यावरण के सामने नई-नई चुनौतियां आ रही हैं। ऐसे में हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है। हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ वरदान है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए।

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