International market (अंतरराष्ट्रीय बाजार) में क्रूड ऑयल के दाम करीब 26.42% तक घट चुके हैं। कच्चे तेल के दाम फरवरी के अपने 140 डॉलर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर से गिरकर 103 डॉलर तक आ चुके हैं। यह अर्थ जगत से जुड़ीं मीडिया की खबरों से पता चल रहा है। इसके बावजूद भारत में पेट्रोल और डीजल में लगातार महंगाई की आग भड़कती जा रही है। आगे चलकर और ना जाने क्या-क्या होगा। गत सात दिन में छह बार तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए हैं। 28 मार्च को भी पेट्रोल 30 पैसे और डीजल 35 पैसे प्रति लीटर महंगा हुआ है। अब एक हफ्ते के दौरान दोनों के दाम एक लीटर पर चार रुपये तक बढ़ चुके हैं। नयी दरों के अनुसार, दिल्ली में पेट्रोल 99.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 90.77 रुपए प्रति लीटर बिकने लगा। मुंबई में पेट्रोल 114.08 रुपए और डीजल 98.48 रुपए प्रति लीटर हो गया। झारखंड की राजधानी रांची में इस वृद्धि के पहले ही पेट्रोल की कीमत ₹100 पार कर चुकी है।
जीएसटी के तहत हो पेट्रोल डीजल के दाम
PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को GST के तहत लाने से बहुत मदद मिलेगी। यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह रोज-रोज कीमतें बढ़ रही हैं, उस पर लगाम लगाने के लिए अब GST के तहत पेट्रोल-डीजल को लाना होगा।
9 माह में 3.31 लाख करोड़ की वसूली
केंद की मोदी सरकार ने अप्रैल से दिसंबर 2021 तक पेट्रोल-डीजल समेत पेट्रोलियम उत्पादों पर 3.31 लाख करोड़ रुपये टैक्स से वसूले हैं। यह खुलासा एक RTI से हुआ है। एक RTI के जवाब में सरकार ने बताया कि पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर 37,653.14 करोड़ रुपये का सीमा शुल्क वसूला गया, जबकि केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 2,93,967.93 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए हैं। एक्साइज ड्यूटी की बात करें, तो केंद्र सरकार अब तक 13 बार ड्यूटी में इजाफा कर चुकी है, जबकि महज 4 बार इसे घटाया गया है।