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टूना जैसी प्रजातियों के टिकाऊ प्रबंधन पर विमर्श को देश-विदेश के वैज्ञानिक व विशेषज्ञ एक मंच पर आये

टूना जैसी प्रजातियों के टिकाऊ प्रबंधन पर विमर्श को देश-विदेश के वैज्ञानिक व विशेषज्ञ एक मंच पर आये

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National news, National update, New Delhi news, latest National Hindi news : भारत सरकार का मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय टूना जैसी प्रजातियों के टिकाऊ प्रबंधन में आ रही समस्याओं को दूर करने को लेकर एक बैठक कर रहा है। हिन्द महासागर टूना आयोग के डेटा संग्रह और सांख्यिकी पर 19वें कार्य दल की पांच दिवसीय बैठक मंगलवार को मुंबई के होटल सेंट रेगिस में शुरू हुई। बैठक में इंडोनेशिया, फ्रांस, स्पेन, यूरोपीय संघ (ईयू) के अन्य देश, सेशेल्स, तंजानिया, ईरान, थाईलैंड, जापान, श्रीलंका, ओमान और भारत जैसे देशों के प्रतिभागी व्यक्तिगत रूप से भाग ले रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न अन्य देशों, आईओटीसी और वैज्ञानिक संगठनों के कई प्रतिभागी वर्चुअल मोड में भी बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री नीतू कुमारी प्रसाद और महाराष्ट्र सरकार के मत्स्य पालन आयुक्त अतुल पटने भी मौजूद रहे।

सरलीकृत तरीकों के साथ सामने आएंगे

वैज्ञानिक संसाधन मूल्यांकन के उद्देश्य से डेटा संग्रह, संकलन और आईओटीसी को रिपोर्ट करने में विभिन्न देशों द्वारा अपनाये गये मौजूदा वैज्ञानिक तरीकों पर विचार-मंथन और विश्लेषण करेंगे और हिन्द महासागर क्षेत्र में डेटा संग्रह और सांख्यिकी के उन्नत और सरलीकृत तरीकों के साथ सामने आएंगे। इस बैठक के बाद 4-8 दिसम्बर को उसी स्थान पर आईओटीसी की मुख्य वैज्ञानिक समिति की बैठक होगी। इसमें टूना और हिंद महासागर में टूना जैसी प्रजातियों के टिकाऊ प्रबंधन से सम्बन्धित वैज्ञानिक सिफारिशों के लिए डब्ल्यूपीडीसीएस और विभिन्न अन्य कार्यकारी दलों की सिफारिशों पर विचार किया जायेगा।

बिलफिश व  शार्क अत्यधिक आर्थिक महत्त्व रखती हैं

टूना और अन्य बड़ी पेलजिक प्रजातियां, जैसे कि बिलफिश, शार्क और किरणें, अत्यधिक आर्थिक महत्त्व रखती हैं। अकेले टूना ने 41 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2018 में) के व्यापार के अनुमानित वार्षिक मूल्य में योगदान दिया है। बहुराष्ट्रीय मत्स्य पालन द्वारा अत्यधिक मछली पकड़ने की उनकी संवेदनशीलता को देखते हुए, इन प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय दायरे में बेहतर प्रबंधन और संरक्षण के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता एक अरसे से महसूस की जा रही है।

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