तमिलनाडु के धर्मपुरी अधीर मठ में सदियों पुरानी परंपरा पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद विवाद बढ़ गया है। इस मामले को लेकर तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके सरकार की तीखी आलोचना हो रही है। वहीं, इसको लेकर भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एमके स्टालिन सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। सुब्रमण्यम स्वामी ने डीएमके सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि राज्य में हिंदू विरोधी भावना तेजी से बढ़ रही है। ऐसा करना गलत होगा।
हिंदू एकजुट नहीं, वे कुछ करने की स्थिति में नहीं
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, “वे जो चाहें कह सकते हैं। तमिलनाडु में हिंदू विरोधी भावना बढ़ रही है। भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले को लेकर लोग ज्यादा चिंतित नजर आते हैं। हिंदू एकजुट नहीं हैं और वे कुछ करने की स्थिति में नहीं है लेकिन इस मामले में जल्द ही कुछ किया जाना चाहिए। बता दें की शोभायात्रा के दौरान मठ के पदाधिकारियों और अनुयायियों द्वारा महंत की पालकी को कंधे पर ले जाने की पुरानी परंपरा रही है। लेकिन प्रशासन ने अब इस पर रोक लगा दी है। प्रशासन ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया ह। वहीं, प्रशासन के इस कदम के बाद भक्तों में काफी नाराजगी है।
सदियों पुरानी परंपरा को रोका नहीं जा सकता
मामले को लेकर भक्तों ने कहा कि है सदियों पुरानी परंपरा को रोका नहीं जा सकता है। उनका कहना है कि कभी भी यह शोभा यात्रा रोकी नहीं गई है। भक्तों ने कहा है कि प्रशासन द्वारा धार्मिक कार्यों में दखल देने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सीएम स्टालिन से इस शोभा यात्रा को निकालने की अनुमति देने की मांग की है। मठ से जुड़े लोगों का कहना है कि धर्मापुरी अधीनम का शैव संप्रदाय में वही स्थान है, जो कैथोलिक ईसाइयों के लिए वेटिकन सिटी का है।
धर्मपुरी अधीर मठ में सदियों से चली आ रही परंपरा के मुताबिक, धर्मापुरी अधीनम के महंत को पालकी में बिठाकर कंधे पर शोभा यात्रा निकाली जाती है। लेकिन, अबकी प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी है। यह शोभायात्रा 22 मई को निकाली जानी थी।