Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, कहां – संसद को कानून बनाना चाहिए

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, कहां – संसद को कानून बनाना चाहिए

Share this:

Same sex marriage, national news, supreme court decision, National update : समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को पांच जजों की बेंच में सुनवाई हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती। हालांकि पांच जजों की बेंच में जजों ने अपना अलग-अलग फैसला दिया। मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत को कानून बनाने का अधिकार नहीं है, लेकिन कानून की व्याख्या वह कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में संसद को समलैंगिक विवाह मामले में फैसला करना चाहिए। इसके लिए संसद को कानून बनाना चाहिए। चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि यह कहना गलत होगा कि समलैंगिकता सिर्फ शहरों में ही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों को निर्देश दिया कि समलैंगिक लोगों के साथ उनके यौन रुझान के आधार पर कोई भी भेदभाव ना किया जाए। 

प्रेम मानवता का मूलभूत गुण

मुख्य न्यायाधीश ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि जीवनसाथी चुनना किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन का अहम हिस्सा होता है। उसे साथी के साथ जीवन बिताने का पूर्ण अधिकार है। यह मानवीय स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आता है। उन्होंने यह भी कहा कि समलैंगिकता को मानसिक बीमारी बताना गलत है। गांव के खेत में काम करने वाली एक महिला भी समलैंगिक हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रेम मानवता का मूलभूत गुण है। शादी करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि शादी का रूप लगातार बदल रहा है। यह स्थिर नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले सती प्रथा थी। बाद में बाल विवाह की प्रथा आई इसके बाद यानी अब अंतरजातीय विवाह की प्रथा चल पड़ी है।

Share this: