These 25 people in India do not have to pay toll tax, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : देश के विभिन्न राष्ट्रीय उच्च मार्गों से अपनी गाड़ियों से गुजरने वाले लोगों को यह पता होगा कि कुछ चुनिंदा सड़कों पर फ़र्राटे के साथ गाड़ियां दौराने के एवज में उन्हें टोल टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। यह देश के लगभग सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य है परंतु अपने देश में ही 25 पद ऐसे हैं, जिन पर विराजमान लोगों को बिना टोल टैक्स दिए देश के किसी भी मार्ग से गुजरने की खुली छूट है। आखिर कौन है ये, आइए जानें..
इन्हें है बिना टोल दिए सड़कों पर फर्राटे भरने की छूट
आपको बता दें देश के विभिन्न राष्ट्रीय उच्च पथों पर जिन व्यक्तियों को बिना टोल टैक्स दिए यात्रा करने की खुली छूट है, उनमें भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, किसी भी राज्य के राज्यपाल, भारत के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा के अध्यक्ष, संघ के कैबिनेट मंत्री, किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री, संघ राज्य मंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, चीफ ऑफ स्टाफ जो पूर्ण सामान्य समकक्ष रैंक का पद धारण करता है के अलावा किसी भी राज्य की विधान परिषद के सभापति, किसी राज्य की विधानसभा के अध्यक्ष, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, संसद सदस्य, थल सेनाध्यक्ष के सेना कमांडर और अन्य सेवाओं में उनके समकक्ष, संबंधित राज्यों के अंदर किसी राज्य सरकार के मुख्य सचिव, भारत सरकार के किसी भी विभाग के सचिव, राज्यों की परिषद सचिव, लोकसभा के सचिव व राजकीयवयात्रा पर आमंत्रित विदेशों के गणमान्य व्यक्ति।
इन्हें भी सरकार ने दी है छूट
इनके अलावा परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित व्यक्ति को भी इन पदों पर बिना टोल टैक्स दिए गुजरने की छूट है। हालांकि, उन्हें इससे संबंधित अधिकृत फोटो प्रमाणपत्र दिखाना होता है। इनके अलावा केंद्र और राज्य के ससस्त्र बल (अगर वे वर्दी में हैं, इनमें अर्धसैनिक बल और पुलिस दोनों), कार्यकारी मजिस्ट्रेट, अग्निशमन दस्ता, एंबुलेंस, अंतिम संस्कार में शामिल वाहन, वैसे यांत्रिक वाहन, जो विशेष रूप से शारीरिक अक्षमता से पीड़ित व्यक्ति के लिए उपयोग और डिजाइन किए गए हैं, को भी टोल टैक्स से छूट प्रदान की गई है।
1956 में पहली बार शुरू हुई टोल टैक्स देने की परंपरा
आपको बता दें देश में टोल टैक्स देने की यह परंपरा 1956 में पहली बार शुरू हुई। इसके तहत जो भी वाहन चालक इंटर स्टेट एक्सप्रेसवे, नेशनल या स्टेट हाईवे से गुजरता है, उसे टोल टैक्स देना होता है। इसका पूरा प्रबंध नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया करती है। आपको यह भी बता दें कि एक टोल बूथ से दूसरे टोल बूथ की दूरी सामान्य तौर पर 60 किलोमीटर होती है। इन सड़कों का निर्माण देश की विभिन्न कंपनियां अपने खर्च पर करती हैं। इससे सरकार के खजाने पर अपेक्षाकृत कम बोझ पड़ता है और सड़कों का निर्माण भी हो जाता है। बाद में यही कंपनियां उन सड़कों पर चलने वाले वाहनों से तब तक टैक्स की वसूली करती है जब तक संबंधित सड़क पर हुए खर्च की भरपाई नहीं हो जाती। इसके बाद यह सरकार की सम्पत्ति हो जाती है। इस अवधि में सड़क की मरम्मत का कार्य भी वही कंपनी करती है, जिससे सड़कें चिकनी रहती हैं और गाड़ियां उन पर सरपट भागती हैं।