UGC new guideline : अब कालेजों व विश्वविद्यालयों में बिना अकादमिक डिग्री के भी प्रोफेसर बना जा सकेगा। इसके लिए बस आपके पास संबंधित क्षेत्र का 15 वर्षों का अनुभव होना चाहिए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस (POP) को मंजूरी दे दी है। जारी की गई अधिसूचना के अनुसार इन शिक्षण संस्थानों में बिना शैक्षिक योग्यता के अनुभव के आधार पर प्रोफेसर बनकर तीन साल तक सेवा दी जा सकती हैं। असाधारण मामलों में इस अवधि को एक साल और बढ़ाया जा सकता है। गौरतलब है कि अभी तक प्रोफेसर बनने के लिए शैक्षिक योग्यता के तहत नेट और पीएचडी होना जरूरी था। यूजीसी के अनुसार विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, सिविल सेवा,इंजीनियरिंग और सशस्त्र बलों जैसे क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञ इसके लिए पात्र होंगे।
आइआइटी व आइआइएम में पहले से है यह व्यवस्था
गौरतलब है कि आइआइटी व आइआइएम में यह व्यवस्था पहले से चल रही है। इन संस्थानों में प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस व्यवस्था पहले से कायम है। वैसे पीओपी दुनिया भर में एक आम बात हो चुकी है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी (MIT), एसओएएस यूनिवर्सिटी आफ लंदन, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, कार्नेल यूनिवर्सिटी, हेलसिंकी यूनिवर्सिटी जैसे कई विश्वविद्यालयों में भी यह व्यवस्था चलती आ रही है। भारत में भी पीओपी को दिल्ली, मद्रास व गुवाहाटी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में नियुक्त किया जाता है।
पीओपी 10 प्रतिशत से अधिक नहीं
यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी उच्च शिक्षा संस्थान (HEI) में पीओपी की संख्या स्वीकृत पदों के 10 प्रतिशत तक ही होगी। ऐसे प्रोफेसर की भर्ती किसी विश्वविद्यालय अथवा कालेज में स्वीकृत पदों के अतिरिक्त होगी। योजना के तहत इन संकाय सदस्यों को तीन भागों में लगाया जाएगा। इनमें उद्योगों द्वारा वित्त पोषित प्रैक्टिस के प्रोफेसर, एचईआइ द्वारा अपने खुद के संसाधनों से लगे हुए प्रैक्टिस के प्रोफेसर और मानद आधार पर प्रैक्टिस के प्रोफेसर शामिल हैँ।