Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

जल और प्रकृति संरक्षण भारत की सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा : मोदी

जल और प्रकृति संरक्षण भारत की सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा : मोदी

Share this:

गुजरात के सूरत में ‘जल संचय, जन भागीदारी’ पहल के शुभारम्भ कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री ने किया सम्बोधित 

New Delhi news: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि जल और प्रकृति संरक्षण भारत की सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा हैं। उन्होंने जल संरक्षण पर तत्काल कार्यवाही का आह्वान किया और जल से सम्बन्धित मुद्दों के सम्बन्ध में राष्ट्र के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ‘कम करें, पुन: उपयोग करें, पुन: रिचार्ज करें और पुन: चक्रित करें’ के मंत्र को अपनाने पर बल दिया।

जल संरक्षण, टिकाऊ भविष्य के लिए 09 संकल्पों में सबसे प्रमुख

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को गुजरात के सूरत में ‘जल संचय, जन भागीदारी’ पहल के शुभारम्भ पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम के तहत वर्षा जल संचयन बढ़ाने और दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए राज्य भर में लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आज गुजरात की धरती से एक महत्त्वपूर्ण अभियान की शुरुआत हो रही है।

जल वह पहला मापदंड होगा, जिसके आधार पर हमारी आनेवालीं पीढ़ियां हमारा मूल्यांकन करेंगी

मॉनसून के कहर के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा कि देश के लगभग सभी क्षेत्रों को इसके कारण प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। गुजरात को इस बार अत्यधिक संकट का सामना करना पड़ा और स्थिति को सम्भालने के लिए विभाग पूरी तरह से तैयार नहीं थे, फिर भी गुजरात और देश के लोग ऐसी विकट परिस्थितियों में कंधे से कंधा मिला कर खड़े रहे और एक-दूसरे की मदद की। उन्होंने आगे कहा कि देश के कई हिस्से अभी भी मॉनसून के प्रभाव से जूझ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण सिर्फ नीति नहीं है, यह एक प्रयास भी है और एक गुण भी है; इसमें उदारता भी है और जिम्मेदारी भी। मोदी ने कहा, ‘जल वह पहला मापदंड होगा, जिसके आधार पर हमारी आनेवालीं पीढ़ियां हमारा मूल्यांकन करेंगी।’ उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि जल सिर्फ एक संसाधन नहीं है, बल्कि यह जीवन और मानवता के भविष्य का सवाल है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण, टिकाऊ भविष्य के लिए 09 संकल्पों में सबसे प्रमुख है।

प्रकृति और जल संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में दुनिया के ताजा पानी का केवल 04 प्रतिशत मौजूद है। उन्होंने कहा, ‘भले ही देश में कई शानदार नदियां हैं, लेकिन बड़े भौगोलिक क्षेत्र पानी से वंचित हैं और भूजल स्तर भी तेजी से घट रहा है।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ पानी की कमी ने लोगों के जीवन पर बहुत बड़ा असर डाला है।

जल संरक्षण केवल नीतियों का नहीं, बल्कि सामाजिक प्रतिबद्धता का भी मामला

प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण केवल नीतियों का मामला नहीं है, बल्कि सामाजिक प्रतिबद्धता का भी मामला है। उन्होंने जागरूक नागरिक, जन भागीदारी और जन आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अतीत में भले हजारों करोड़ रुपये की जल-सम्बन्धी परियोजनाएं शुरू की गयी हों, लेकिन परिणाम पिछले 10 वर्षों में ही दिखाई दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत नागरिकों से एक पेड़ लगाने की अपील का जिक्र करते हुए कहा कि वनरोपण से भूजल स्तर तेजी से बढ़ता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले कुछ हफ्तों में ‘एक पेड़ मां के नाम’ के तहत करोड़ों पेड़ लगाये गये हैं। मोदी ने ऐसे अभियानों और संकल्पों में जन भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि 140 करोड़ नागरिकों की भागीदारी से जल संरक्षण के प्रयास एक जन आन्दोलन में बदल रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण पर कहा कि जल को तभी बचाया जा सकता है जब इसका दुरुपयोग बंद हो, खपत कम हो, जल का पुन: उपयोग हो, जल स्रोतों को पुन: रिचार्ज किया जाये और दूषित जल को पुन: चक्रित किया जाये। प्रधानमंत्री ने इस मिशन में नवीन दृष्टिकोण और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के महत्त्व पर प्रकाश डाला।

Share this: