पश्चिम बंगाल विधानसभा का सत्र सात मार्च को रात दो बजे बुलाए जाने को लेकर मचे विवाद के बाद अब भूल सुधार लिया गया है। राज्य के मुख्य सचिव ने एक और अनुरोध पत्र राज्यपाल के पास भेजा है। इसमें समय को दो बजे रात के बजाय दो बजे दोपहर किया गया है। हालांकि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर सत्र को प्रस्तावित समय पर बुलाने के बजाय उसे वापस लौटा दिया है। उन्होंने कहा है कि मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए फैसले के बारे में पत्र लिखने का अधिकार मुख्य सचिव को है ही नहीं। इसलिए जो मंत्रिमंडल का काम है वहां मंत्रिमंडल करें और दोबारा पत्र भेजें।
राज्यपाल ने ट्विटर पर दी जानकारी
यह जानकारी खुद राज्यपाल ने ट्विटर पर दी है। इसके साथ ही इस संबंध में उन्होंने ट्विटर पर एक प्रेस रिलीज भी जारी किया है। इसमें उन्होंने बताया है कि मंत्री मंडल की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने का जो प्रस्ताव पत्र भेजा गया था उसमें गलती से दो बजे दोपहर के बजाय दो बजे रात लिख दिया गया था। मुख्य सचिव ने इस संबंध में गलती मानी है और नए सिरे से पत्र भेजा है। हालांकि मंत्रिमंडल के निर्णय के बारे में पत्र लिखने का अधिकार मुख्य सचिव को नहीं है इसीलिए सत्र बुलाने संबंधी जो अनुरोध मुख्य सचिव की ओर से आया है उसे वापस लौटा दिया गया है। यह काम मंत्रिमंडल को ही करना होगा।
महाधिवक्ता को किया था तलब
इसके पहले राज्यपाल ने राज्य के महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी को तलब किया और विधानसभा सत्र बुलाने संबंधी अनुरोध पत्र पर टाइपिंग एरर को लेकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि इस तरह की गलतियां नहीं होनी चाहिए। जब पूरी मंत्रिमंडल फैसला ले रही है तब इस तरह की गलतियां लापरवाही का संकेत है। महाधिवक्ता ने उन्हें आश्वस्त किया है कि दोबारा ऐसा नहीं होगा।