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नीरज हत्याकांड : आरोपियों ने की सशरीर पेशी की मांग, अगली तारीख 2 मई मुकर्रर

नीरज हत्याकांड : आरोपियों ने की सशरीर पेशी की मांग, अगली तारीख 2 मई मुकर्रर

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धनबाद के बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड में  बुधवार को सुनवाई के क्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के दौरान यूपी के कुख्यात शूटर अमन सिंह और सागर सिंह सहित सभी आरोपित लगातार सशरीर पेशी की प्रार्थना अदालत से करते रहे। सुनवाई के दौरान उन्‍हें कोर्ट नहीं लाया गया, जिसपर वह गुहार लगा रहे थे।  सभी का कहना था कि उनके वकील जो बहस कर रहे हैं, तकनीकी वजहों से उसकी आवाज उन्हें सुनाई नहीं दे रही है। न्यायाधीश ने उन्हें समझाया कि अभी उनके आवेदन पर बहस हो रही है, इसलिए वह लोग धैर्य बनाये रखे। इसके बाद संजीव सिंह ने अदालत से कहा कि सर तकनीकी वजहों से आवाज नहीं आ रही है। कुछ गलती हुई हो तो माफ किया जाए। करीब 30 मिनट तक इस मामले को लेकर कोर्ट की कार्यवाही बाधित रही। इसके बाद आवेदन पर बहस शुरू हुई।

प्रश्नों की सूची उपलब्ध कराने की मांग

पूर्व विधायक संजीव सिंह की ओर से हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता बीएम त्रिपाठी और मो. जावेद, डब्लू मिश्रा की ओर से मदन मोहन दरिअप्पा, पंकज सिंह की ओर से पंकज प्रसाद ने न्‍यायालय द्वारा रीमा हजारिका के मामले में पारित किए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें अभियुक्तों से पूछे जाने वाले प्रश्‍नों की पूरी सूची उपलब्ध कराई जाए, ताकि वह उसका जवाब लिखित रूप में दे सकें। यह उनका संवैधानिक अधिकार है कि अपना बयान वह अपने अधिवक्ताओं से संपर्क कर व सोच-विचार कर ही दें। इसीलए वर्ष 2009 में सीआरपीसी की धारा 313 की उप धारा 5 में इसे संशोधित कर लाया गया है।  अधिवक्‍ताओं ने कहा कि ऐसा नहीं किया जाता है तो इसका असर पूरे ट्रायल पर पड़ सकता है.श।

ऐसा अनिवार्य प्रावधान नहीं है

 इधर, अभियोजन ने इसका पुरजोर विरोध किया और कहा कि ऐसा अनिवार्य प्रावधान नहीं है।  यह कोर्ट का अपना विवेकाधिकार है। वहीं, दूसरी ओर अमन सिंह, सागर सिंह, संजय सिंह, कुर्बान अली, विनोद सिंह, धनजी सिंह की ओर से भी आवेदन दाखिल कर प्रश्‍नों की सूची मांगी गई। अधिवक्ता कुमार मनीष और केके तिवारी ने कहा कि जब उन्हें प्रश्‍नों की सूची दी जाएगी, तभी वह उसका सही जवाब दे पाएंगे। तीन साल पहले उन्होंने गवाहों का बयान सुना था, जो अब उन्हें याद नहीं है कि किस गवाह ने क्या कहा था। तो अब इसका जवाब कैसे देंगे। इधर, अपर लोक अभियोजक कुलदीप शर्मा ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसे आवश्यक प्रावधान नहीं बताया है। वहीं दोनों पक्षों को सुनने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत ने मामले पर आदेश के लिए 2 मई की तारीख निर्धारित कर दी है।

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