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पीआईबी की तानाशाही और पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए आंदोलन की तैयारी

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सार्क जर्नलिस्ट फोरम, यूनाइटेड इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन(UIJA) एवं सेव् यूएनआई मूवमेंट ने संयुक्त रूप से पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिये पत्र सूचना कार्यालय (PIB) की तानाशाही एवं लालफीता शाही के खिलाफ आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया है।

कठिनाइयों को दूर करने का आग्रह 

उर्दू के वरिष्ठ पत्रकार एवं जॉइंट फोरम के संयोजक सुलतान एस कुरैशी ने आज यहाँ जारी एक वयान में इस आशय की जानकारी दी।इस दिशा पीआईबी के प्रधान महानिदेशक श्री जयदीप भटनागर को एक पत्र लिखा गया है तथा विलंब से हो रही कठिनाईयों को दूर करने का आग्रह किया गया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय सार्क जर्नलिस्ट फोरम के इंडिया चैप्टर के महासचिव सुशील भारती, UIJA के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमेन्द्र दाधीच एवं मूवमेंट के संयोजक डॉ.समरेन्द्र पाठक ने लिया है। इसके लिए प्रेस क्लब आफ इंडिया,महिला प्रेस क्लब एवं अन्य संगठनों से भी संपर्क किया गया है।जरूरत पड़ी तो राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों से भी संपर्क किया जायेगा।

भेदभाव स्पष्ट हो गया है

उन्होंने कहा कि पीआईबी एक्रीडेशन रिनुअल में अनावश्यक विलंब एवं नए एक्रीडेशन में पात्र पत्रकारों के साथ भेदभाव से स्पष्ट हो गया है, कि पीआईबी के जिम्मेदार अधिकारी किस तरह से काम करते हैं।उनकी इस शैली से देश दुनियां में सरकार की किरकिरी हुयी है।यह काम गत वर्ष दिसंबर में पूरा हो जाना था,लेकिन अभी तक कई पात्र पत्रकारों का मामला अधर में लटका हुआ है,जबकि पुराने कार्ड की मान्यता 30 अप्रैल 2022 को समाप्त हो चुकी है।

विरोध प्रकट कर चुका है प्रेस क्लब

श्री कुरैसी ने कहा कि प्रेस क्लब आफ इंडिया,जर्नलिस्ट एसोसिएशन एवं अन्य पत्रकार यूनियनों ने पहले ही ऐसी आशंका जाहिर करते हुए विरोध प्रकट किया था।

उन्होंने कहा कि पीआईबी ने इन चीजों के लिए मानक तय कर रखा है।उसी अनुरूप लोगों ने रिनुअल एवं नए एक्रीडेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है,फिर विलंब एवं पिक एन्ड चूज अधिकारियों की अकर्मण्यता एवं लापरवाही को प्रदर्शित करता है।ऐसी स्थिति तो राज्य स्तर पर भी नहीं है।

पत्रकारिता में जीवन खपाने वाले भी 

एक्रीडेशन के हकदार

नेता ने कहा कि तत्कालीन सांसद पप्पू यादव की अगुआई में सेव यूएनआई मूवमेंट ने दलित उत्पीड़न के मामले में तिहाड़ जेल जा चुके यूएनआई के दो शीर्ष पत्रकारों का एक्रीडेशन का मामला उठाया था।पीआईबी मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन के बाद पीआईबी में लापरवाही एवं लाल फीता शाही के कई कारनामें उजागर हुए थे और जिम्मेदार अधिकारी को विभाग से अन्यत्र भेज दिया गया था। उन्होंने कहा कि सैकड़ों ऐसे पत्रकार है,जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी पत्रकारिता में लगा दी।वे आज भी अपनी लेखनी को बरकरार रखे हुए हैं।नियमानुसार वे एक्रीडेशन के लिए पात्र हैं,लेकिन उन्हें इस सुविधा से बंचित रखा गया है।इस भेदभाव पूर्ण नीति के कारण पत्रकारों में असंतोष है।

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