तपस्वी छावनी के महंत आचार्य परमहंस ने दावा किया है कि मुगल आक्रांताओं ने देशभर में करीब 40 हजार हिंदुओं के धर्म स्थलों को तोड़कर मस्जिद बनाई है। जब तक इन्हें वापस नहीं ले लेता, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे 40 हजार धर्म स्थलों की सूची उनके पास मौजूद है। उक्त बातें आचार्य परमहंस ने मध्य प्रदेश के झांसी में कहीं।
संस्कृति बचानी है तो देश को हिंदू राष्ट्र बनाना होगा
उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही देश को हिंदू राष्ट्र घोषित न किया गया तो भारतीय संस्कृति को बचाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए 2024 के पूर्व भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए। उन्होंने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त मुस्लिम समुदाय पर जमकर हमला बोला। ज्ञानवापी से लेकर कुतुबमीनार तक सर्वे के दौरान मिले सबूतों पर उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भारतीय संस्कृति के देवी-देवताओं का मखौल उड़ाया जा रहा है, उनके ऊपर वजू करने की बात की जा रही है, यह शर्मनाक है। यदि ऐसा ही उनके पैगंबरों के साथ किया जाए तो वह कितना आहत होंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि अभी 40 हजार स्थलों की सूची उनके पास है। जिन्हें वापस कराया जाएगा।
राष्ट्रवादी मुस्लिमों की भी मौन स्वीकृति घातक
समाज के अच्छे मुसलमानों पर सवाल उठाते हुए पीठाधीश्वर ने कहा कि कश्मीर में पत्थर फेंके जाने के दौरान हमारे सैनिक घायल हो जाते थे या कभी-कभी तो शहीद भी हो जाते थे। उस पर जो अपने को राष्ट्रवादी मुस्लिम कहते थे, उनकी मौन स्वीकृति देखी गई। यह मौन स्वीकृति यह स्पष्ट करती है कि यदि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बना तो यह देश को निगल जाएंगे। इनकी मौन स्वीकृति देश के लिए घातक है।
2024 के पूर्व हिन्दू राष्ट्र घोषित कराने का संकल्प
महंत आचार्य परमहंस ने कहा कि वैसे भी देश का बंटवारा मुसलमानों के कहने पर हुआ था। उन्हें पाकिस्तान व
और बांग्लादेश मिला जो इस्लामिक देश बन चुके हैं। वहां हिंदुओं को मुस्लिम बनाने व हत्या करने को न तो भुलाया जा सकता है और न क्षमा किया जा सकता है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में यह स्थिति भारत में भी है। केरल जैसे क्षेत्रों में अलग देश की मांग उठने लगी है। 2014 के बाद मुस्लिम बदले नहीं हैं,बल्कि वर्तमान सरकार की कार्यकाल खत्म होने की प्रतीक्षा में हैं। कदाचित सत्ता बदल गई तो इसके बाद हिंदू अस्तित्व को मिटने से कोई रोक नहीं सकता। इसलिए 2024 के पूर्व भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कराने को बहुसंख्यक वर्ग संकल्पित है।
बहुसंख्यकों की आस्था आहत
ज्ञानवापी मामले से लेकर कुतुबमीनार तक के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी सर्वे में जो शिवलिंग मिला, उसको लेकर के तमाम बुद्धिजीवी मुस्लिमों द्वारा वजूखाने व फब्बारे की बात की जा रही है। इससे बहुसंख्यकों की आस्था उसी तरह आहत हो रही है। जिस तरह कोई पैगंबर मोहम्मद, कुरान या अल्लाह पर थूकने की बात करें तो मुस्लिम वर्ग आहत होगा। जिस तरह मुस्लिम अल्लाह को मानते हैं, वैसे ही बहुसंख्यकों के शिव आराध्य हैं।
तलवार के डर से सलवार पहनने वालों का विकल्प खुला
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि दुनिया के सारे मुसलमान जानते हैं कि मक्का में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है। इसके बावजूद भी हिंदू मानवता के नाते आज भी बहुत सारे तीर्थों में ऐसे स्थल हैं। जहां दुकान मुस्लिम ही लगाते हैं लेकिन जहां यह मुसलमान घुस जाते हैं, हिंदुओं को या तो बाहर निकलना पड़ता है या फिर उन्हें जबरन निकाल दिया जाता है। भारत में जितने भी मुस्लिम व ईसाई हैं, वह परिवर्तित हुए हैं। यदि वे घर वापसी करते हैं तो इनके लिए विकल्प खुला है। उन्हें सनातनी टाइटल देते हुए गीता व रामायण का पाठ करने का विकल्प है। यह अपने घर की वापसी कर सकते हैं। वरना उन्हें इस्लामिक देशों की तर्ज पर रहना होगा। उन्होंने उन लोगों को भी चेताया जो तलवारों के डर से सलवार पहनकर मुस्लिम बने हैं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि उस समय उनके पास कोई विकल्प न रहा हो, लेकिन अब तुष्टीकरण की राजनीति नहीं है। अब वे साहस के साथ घर वापसी कर सकते हैं।