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यहां तो लगता है तरह-तरह के सांपों का मेला, लोग सांपों को गले में लपेटकर

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Samastipur news (Bihar) : आपने जानवरों के मेला के बारे में बहुत सुना होगा। बिहार का सोनपुर जानवरों के मेला के लिए पूरी दुनिया में फेमस है। आपने शायद ही सुना होगा की बिहार में सांपों का भी मेला लगता है। जी हां, यह बात सही है। बिहार के समस्तीपुर जिला मुख्यालय से करीब 23 किलोमीटर दूर विभूतिपुर प्रखंड के सिंघिया घाट पर नागपंचमी के दिन सांपों का अनोखा मेला लगता है। इस मेले में बच्चे से लेकर बूढ़े तक, जहरीले सांपों को गले में माला की तरह लपेट कर घूमते हैं। 

100 सालों से लग रहा मेला

स्थानीय लोग बताते हैं कि यह सांप तंत्र-मंत्र के जरिए नदी से निकाले जाते हैं और बाद में पूजा करने के बाद इन सांपों को फिर से जंगल में छोड़ दिया जाता है। बताया जाता है कि नागपंचमी के दिन सांपों को पकड़ने की प्रथा के तहत, सिंघिया घाट का यह मेला तीन सौ सालों से ज्यादा वक्त से लग रहा है। यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है।

9 अगस्त को है नाग पंचमी 

स्थानीय लोगों के अनुसार बरसों से चले आ रहे इस मेले में आज तक किसी को भी सांप ने नहीं डसा है। इस बार 9 अगस्त को नागपंचमी है। लेकिन, सांपों के साथ झूमते भक्त और भजन गाते लोग अभी से ही दिख रहे हैं। इस मेले के दौरान पुजारी मृदंग बजाते हैं और भजन भी गाते हैं। नागपंचमी के दिन स्थानीय लोग हजारों की संख्या में झुंड बनाकर नदी किनारे झोला या बोरा में सांपों को लेकर जाते हैं। इस दौरान भगत डुबकी लगाकर सांपों को नदी से निकालकर दिखाता है।

यहां पकड़ कर होती है सांपों की पूजा 

विभूतिपुर प्रखंड के अंतर्गत ही एक बेलसंडी तारा गांव है, जहां सांपों को पकड़कर पूजा की जाती है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां पहले सिर्फ नागपंचमी पर पूजा की जाती थी। लेकिन, भगत के करतब को देख यहां भी सांप पकड़ने का सिलसिला शुरू हो गया। यहां की रहने वाली एक महिला इंदु देवी दो वर्षों से सांपों के साथ पूजा करने लगी हैं। वह अपने गले में सांप को लपेट कर सैकड़ों झुंडों के साथ ढोल की धुन पर थिरकती दिखती हैं।

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