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Dharm adhyatm:  गृहस्थों ने मनाई जन्माष्टमी, आज वैष्णवों की बारी, जानें दोनों में क्या है अंतर

Dharm adhyatm:  गृहस्थों ने मनाई जन्माष्टमी, आज वैष्णवों की बारी, जानें दोनों में क्या है अंतर

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Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, religious, Janmashtami : बुधवार को गृहस्थों ने श्रद्धा और उल्लास के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाया। लोगों ने दिन में व्रत रखा और रात में 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के बाद प्रसाद वितरण कर अपना व्रत खोला। मथुरा में भी इसी दिन जन्माष्टमी मनाई गई। इसी कड़ी में गुरुवार को वैष्णव संप्रदाय के लोग इसे मनाएंगे। आइये जानें इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सही जानकारी, सही समय के साथ और भी बहुत कुछ कृष्णभक्ति से जुड़ी हुई…

भाद्रपद का कृष्ण पक्ष आज शाम 4: 14 मिनट तक

इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि छह सितंबर को दोपहर तीन बजकर 37 मिनट से शुरू होकर सात सितंबर  की शाम 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त हो रही है। शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसी दिन रोहिनी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है।

ऐसे करें आराध्यदेव को नमन व पूजन

✓ व्रत से एक दिन पहले यानी सप्तमी के दिन हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए। उपवास वाले दिन भक्तों को सुबह स्नान करने के बाद सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठना चाहिए।

✓हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें और मध्याह्न के समय काले तिलों का जल छिड़क कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाना चाहिए।  फिर सूतिका गृह में सुन्दर बिछौना बिछाकर उस पर शुभ कलश स्थापित करना चाहिये।

✓ इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ माता देवकी जी की मूर्ति भी स्थापित करनी चाहिए। देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम लेते हुए विधिवत पूजन करना चाहिए।

✓व्रत रात में बारह बजे के बाद ही खोलना चाहिए। इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं कर फलाहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवे का सेवन करना प्रचलन में है।

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