Dharm adhyatma : हिन्दू परम्परा कहती हो, हर घर में एक छोटा मंदिर होना चाहिए। घर में मंदिर के लिए वह जगह चुनें, जहां कोई खलल या लोगों का बार-बार आना-जाना न हो। हालांकि, वास्तु-अनुशंसित पूजा रूम बेहतर होगा, ऐसा महानगरों में हमेशा समाभव नहीं हो पाता है, जहां जगह की कमी होती है। ऐसे घरों के लिए आप अपनी आवश्यकता के मुताबिक दीवार पर लगे मंदिर या कोने में छोटा मंदिर पर विचार कर सकते हैं। मंदिर बनाते समय वास्तु सिद्धांतों का पालन करना बहुत जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वह स्थान सकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन करे।
यह वह स्थान है, जहां लोग खुद को भगवान को अर्पित कर शक्ति पाते हैं। यदि घर में पूजा का कमरा बनाने की जगह नहीं है, तो पूर्व की दीवार या घर के नॉर्थ-ईस्ट जोन में छोटी वेदी होनी चाहिए। मंदिर घर की दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए।
पूरब उगते सूर्य और भगवान इंद्र की दिशा
पूरब उगते सूर्य और भगवान इंद्र की दिशा है, इसलिए पूरब की ओर मुख करके प्रार्थना करने से सौभाग्य और वृद्धि होती है। पश्चिम की ओर मुख करके प्रार्थना करने से धन आकर्षित करने में मदद मिलती है। उत्तर की ओर मुख करने से अवसरों और सकारात्मकता को आकर्षित करने में मदद मिलती है। वास्तु के अनुसार मंदिर में पूजा करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करना सही नहीं है। इसलिए घर में मंदिर की दिशा दक्षिण को छोड़ कर कोई भी हो सकती है।
घर के पूजा रूम में भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए?
✓पूजा कक्ष के लिए वास्तु के अनुसार, देवताओं के चेहरे पश्चिम की ओर हो सकते हैं, ताकि पूजा करते समय आपका मुख पूरब दिशा की ओर हो।
✓भगवान गणेश को लक्ष्मी की बायीं और और देवी सरस्वती को देवी लक्ष्मी की दाहिनी तरफ रखा जाना चाहिए।
शिवलिंग (वास्तु के अनुसार केवल छोटे आकार का) घर के उत्तरी भाग में रखा जाना चाहिए।
✓वास्तु के अनुसार मंदिर या पूजा कक्ष में भगवान हनुमान की मूर्ति हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए।
✓जिन देवताओं की मूर्तियों को उत्तर दिशा में, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए, वे हैं गणेश, दुर्गा और कुबेर।
✓भगवान कार्तिकेय और दुर्गा की मूर्तियों को पूरब दिशा की ओर मुख करके रख सकते हैं।
✓सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु, महेश को पूरब दिशा में पश्चिम की ओर मुख करके रखना चाहिए।