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Dharm: रामकृष्ण परमहंस के अनमोल विचारों को अपनायें, बदल जायेगा आपका जीवन

Dharm: रामकृष्ण परमहंस के अनमोल विचारों को अपनायें, बदल जायेगा आपका जीवन

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Adopt the precious thoughts of Rama krishna Paramhansa, your life will change, dharm, religious, Dharma- Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm, Sanatan Dharm, hindu dharm, God and goddess :  आध्यात्मिक रास्ते पर चल कर संसार के अस्तित्व सम्बन्धी परम ततत्व् (परमात्मा) का ज्ञान प्राप्त कर लेनेवाले को परमहंस कहा जाता है। रामकृष्ण परमहंस की गिनती ऐसे ही महात्माओं में होती है। इसीलिए उनके नाम के साथ परमहंस लगाया जाता है। 12 मार्च 2024 को उनकी जयंती थी। भारत के इस महान संत और आध्यात्मिक गुरु का मानना था कि ईश्वर का दर्शन किया जा सकता है।

ईश्वर का दर्शन करने के लिए वह आध्यात्मिक चेतना की तरक्की पर जोर देते थे। उनके आचरण और उपदेशों ने एक बड़ी आबादी के मन को छुआ, जिनमें उनके परम शिष्य भारत के एक और विख्यात आध्यात्मिक गुरु, प्रणेता और विचारक स्वामी विवेकानंद भी शामिल थे। इस बार रामकृष्ण परमहंस की 188वीं जन्म वर्षगांठ है। उनका जन्म फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को बंगाल के कामारपुकुर गांव में हुआ था। आइए, जानते हैं उनके कुछ अनमोल विचार और उपदेशों के बारे में…

रामकृष्ण परमहंस की अनमोल विचारधाराएं

रामकृष्ण परमहंस ने संत के विषय में कहा था कि संत बुरे व्यक्तियों में भी उनके अंदर की अच्छाइयों को ढूंढ निकालते हैं। मनुष्य को चाहिए कि वह किसी से बैर न रखे और हर चीज में अच्छाइयों को खोजे।

अहंकार के बारे में रामकृष्ण परमहंस के विचार थे कि अहंकार ही असल रूप में माया है। अतः मनुष्य को इसका त्याग कर देना चाहिए। अहंकार को त्याग कर के ही मनुष्य अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है।

परमहंस जी का यह विचार आपको सफलता के मार्ग तक पहुंचा सकता है। उन्होंने अपने उपदेश में कहा था कि बिना स्वार्थ के लोगों की मदद करनी चाहिए ; भले वह आपका साथ निभाये या नहीं। यदि आप एक बार गोता लगाते हैं, तो भले आपको मोती न मिले, परंतु इसका यह मतलब नहीं कि समुद्र में मोती नहीं है। उन्होंने अपनी इस विचारधारा से यही बताने की कोशिश की, कि मनुष्य को जीवन में प्रयास करते रहना चाहिए ; भले पहली बार में सफलता हाथ न लगे, परंतु ऐसा नहीं है कि सफलता मिलेगी ही नहीं।

उनका मानना था कि ज्ञान आपको एकता की राह पर ले जाता है, जबकि अज्ञानता अंधकार की ओर, इसलिए जीवन में व्यक्ति को ज्ञान अर्जित जरूर करना चाहिए।

व्यक्ति का मन ही उसको गुलाम, ज्ञानी, अज्ञानी और बुद्धिमान बनाता है। इसलिए मन को नियंत्रित कर अपना मार्ग सुगम बनाना चाहिए।

ज्ञान को लेकर उनका मानना था कि बारिश का पानी ऊंचाई पर नहीं टिकता है। जहां ढलान होती है, वहां से बह कर चला जाता है। ठीक उसी प्रकार से ज्ञान होने के अहंकार से अपने आपको ऊंचा समझनेवाले व्यक्ति के पास वह नहीं ठहरता है, इसलिए ज्ञान का अभिमान नहीं करना चाहिए।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस की मानें, तो मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य ईश्वर को प्राप्त करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए। उनका कहना था कि कामिनी-कंचन ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में बाधा पैदा करने जैसा है।

रामकृष्ण के अनुसार यह समस्त संसार माया के रूप में है। इस माया के प्रभाव के कारण ही मनुष्य जन्म-मरण के चक्र में फंसा रहता है। अतः मनुष्य को ईश्वर का चिंतन करने से माया समझ में आती है, तभी वह अपने लिए मोक्ष का मार्ग बनाने में सफल होता है।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस के अनुसार हर व्यक्ति दिखने में अलग और स्वाभाव से भी अलग होता है। कोई दिखने में गोरा है, कोई काला है, कोई सीधा है, तो कोई क्रूर है ; परन्तु सभी में ईश्वर तत्त्व विद्यमान है। अतः सभी में ईश्वर की छवि देखना चाहिए।

मनुष्य को जीवन में त्याग की भावना रख कर जीवन यापन करना चाहिए। रामकृष्ण परमहंस का यहां कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है। व्यक्ति को यह चीज पहले से स्वीकार कर लेनी चाहिए ; अन्यथा उसे अपनी चीजें खोने की सदैव चिन्ता सताती रहेगी।

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