Dharma adhyatma : सावन माह का समापन इस बार सोमवार के दिन ही हो रहा है। इस वर्ष सावन में पांच सोमवार पड़े हैं। इसका विशेष महत्त्व होता है। सावन में सोमवार व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
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सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को था
सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को पड़ा था और सावन का अंतिम सोमवार 19 अगस्त को पड़ रहा है। इस तरह सावन महीने में पांच सोमवार व्रत पड़े हैं। इनमें चार सम्पन्न हो चुके हैं। चार मंगला गौरी व्रत हुए। वहीं, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय मंत्र जप का भी बहुत महत्त्व होता है। ‘ऊँ नमः शिवाय‘ मंत्र का जप करने से सभी तरह के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। शिव भगवान को यदि प्रसन्न करना है, तो सावन माह में पूरे विधि-विधान के साथ उनकी पूजा जरूर करनी चाहिए। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल सावन का महीना 29 दिन का है।
पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को रखा गया था
पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को रखा गया। जैसे सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करना उत्तम फलदायी रहता है, वैसा ही मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सावन में मंगलवार के दिन मां गौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। इसे मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। श्रावण मास का सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी माना जाता है। सावन के सोमवार का भक्तों को बहुत इंतजार रहता है। इस महीने में भोलेशंकर की विशेष आराधना की जाती है। लोग भोले शंकर का रुद्राभिषेक कराते हैं। सावन मास भगवान शिव का सबसे पसंदीदा माह है और इस दौरान यदि कोई श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ भोलेनाथ की आराधना करता है, तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। इस महीने भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा होती है। सावन के पावन महीने में शिव के भक्त कांवड़ लेकर आते हैं और उस कांवड़ में भरे गंगा जल से शिवजी का अभिषेक करते हैं।
सोमवार के दिन का विशेष महत्त्व
ज्योतिषाचार्य डाॅ. अनीष व्यास ने बताते हैं, श्रावण माह में सोमवार के दिन का विशेष महत्त्व होता है। सावन सोमवार व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से सावन सोमवार का विशेष महत्त्व होता है। इस महीने राशि के अनुसार विशेष उपाय करने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। मंगला गौरी व्रत सुहागन स्त्रियां अपने अखंड सुहाग के लिए धारण करती हैं। सावन के दूसरे मंगलवार को व्रत धारण से ही इसका नाम मंगला और इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है। अतः, गौरी नाम से प्रचलित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस व्रत का बहुत महत्त्व है। माता पार्वती की पूजा-अर्चना करना हर स्त्री के लिए ‘सौभाग्यवती भव’ का आशीर्वाद होता है। कुंवारी कन्याएं यदि गौरी व्रत का धारण करती हैं, तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है तथा विवाह में हो रही अड़चन भी दूर हो जाती है। सुहागन स्त्रियां इस व्रत को अपने पति की लम्बी आयु ; अर्थात अखंड सौभाग्यवती होने की लालसा में रखती है।
मां पार्वती को भी सावन है अत्यन्त प्रिय
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि भगवान शंकर को जिस तरह से सावन मास प्रिय है, ठीक उसी तरह से मां पार्वती को भी सावन का महीना अत्यन्त प्रिय है। मान्यता है कि सावन महीने में सोमवार के दिन भगवान शंकर की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। वहीं, सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखने से मां पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।