Power of Hanuman,dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, dharm adhyatm : हनुमान की अद्भुत शक्तियों का राज उन्हें प्राप्त वरदान में निहित है। रामभक्त हनुमान के कितने ही नाम हैं। कभी पवनपुत्र तो कभी महावीर, कभी अंजनीपुत्र तो कभी कपीश। महादेव के अनेकों अवतार में से सर्वश्रेष्ठ हैं बजरंग बली। शिवपुराण के अनुसार त्रेतायुग में हनुमान का जन्म शिव के वीर्य से हुआ था। शिवपुराण के अनुसार समुद्रमंथन के बाद देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत को लेकर हो रहे विवाद को शांत करने के लिए विष्णु जी ने मोहिनी का रूप धारण किया। मोहिनी की सुंदरता देखकर कामातुर शिव ने वीर्यपात किया जिसे सप्तऋषियों ने संग्रहिहित कर लिया था।
सही समय आने पर सप्तऋषियों ने शिव के वीर्य को वानराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से उनके गर्भ तक पहुंचाया। शिव के इसी वीर्य से अत्यंत पराक्रमी और तेजस्वी हनुमान का जन्म हुआ।
वाल्मिकी रामायण के अनुसार हनुमान अपने बाल्यकाल में बेहद शरारती थी। एक बार सूर्य को फल समझकर उसे खाने दौड़े तो घबराकर देवराज इन्द्र ने उनपर वार किया। इन्द्र के वार से हनुमान बेहोश हो गए, जिसे देखकर वायु देव अत्याधिक क्रोधित हो उठे। उन्होंने समस्त संसार को वायु विहीन कर दिया। चारों ओर त्राहिमाम मच गया। तब स्वयं ब्रह्मा के स्पर्श से हनुमान ठीक हुए। उस समय देवतागण हनुमान के पास आए और उन्हें कई प्रकार के वरदान दिए। आइए जानें रामभक्त हनुमान की शक्तियों के बारे में ।
सूर्यदेव का वरदान
हनुमान की अद्भुत शक्तियों में सूर्य देव का भी योगदान है। उनके वरदान की वजह से ही हनुमान सर्वशक्तिमान बने। सूर्यदेव ने उन्हें अपने तेज का सौंवा भाग दिया। उन्होंने कहा कि जब यह बालक बड़ा हो जाएगा तब वह खुद उन्हें शास्त्रों का ज्ञान प्रदान करेंगे। सूर्य देव ने उन्हें अच्छा वक्ता और अद्भुत व्यक्तित्व का स्वामी बनाया। सूर्यदेव ने पवनपुत्र को नौ विद्याओं का ज्ञान भी दिया था।
यमराज का वरदान
यमराज ने हनुमान को वरदान दिया कि वह उनके दंड से मुक्त रहेंगे। कभी यम के प्रकोप के भागी नहीं बनेंगे।
कुबेर का वरदान
कुबेर का वरदान यह था की युद्ध में कुबेर की गदा भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। कुबेर ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्रों के प्रभाव से हनुमान को मुक्त कर दिया।
भोलेनाथ का वरदान
महावीर का जन्म शिव के ही वीर्य से हुआ था। महादेव ने कपीश को वरदान दिया कि किसी भी अस्त्र से उनकी मृत्यु नहीं हो सकती।
विश्वकर्मा का वरदान
देवशिल्पी विश्वकर्मा ने हनुमान को चिरंजीवी होने का वरदान प्रदान किया।
देवराज इन्द्र का वरदान
रामभक्त हनुमान की शक्तियां। इन्द्रदेव ने बजरंग बलि को यह वरदान दिया कि उनका वज्र भी महावीर को चोट नहीं पहुंचा पाएगा। इन्द्र देव द्वारा ही हनुमान की हनु खंडित हुई थी, इसलिए इन्द्र ने ही उन्हें हनुमान नाम प्रदान किया।
वरुण देव का वरदान
वरुण देव ने हनुमान को वरदान दिया की जल की वजह से उनकी मृत्यु नहीं होगी।
ब्रह्मा का वरदान
परमपिता ब्रह्मा ने हनुमान को धर्मात्मा, परमज्ञानी होने का वरदान दिया। साथ ही ब्रह्मा जी ने उन्हें यह भी वरदान दिया कि अपनी इच्छानुसार गति और वेश धारण कर पाएंगे।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी-देवताओं से प्राप्त वरदान प्राप्त करने के बाद पवनपुत्र बेरोकटोक घूमने लगे। उनकी शैतानियों से सभी ऋषि-मुनी परेशान हो गए। उनकी शैतानियों से परेशान होकर एक बार अंगिरा और भृगुवंश के मुनियों ने क्रोध में आकर उन्हें श्राप दिया कि हनुमान की अद्भुत शक्तियां और बल उन्हें स्वयं याद न रहें। किसी के द्वारा याद दिलाने पर ही उन्हें उसका भान हो ।
समुद्र लांघना
इस घटना के बाद हनुमान बिल्कुल सामान्य जीवन जीने लगे। उन्हें अपनी किसी भी शक्ति का स्मरण नहीं था। भगवान राम से मिलने के बाद जब सीता जी की खोज के लिए लंका जाना था, तब समुद्र लांघने के समय स्वयं प्रभु राम ने हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण करवाया था।
सीता का वरदान
सीता जी की खोज करते हुए जब हनुमान लंका पहुंचे। जब हनुमान जी ने सीता मां को अपना परिचय दिया तब सीता मां उनसे अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्हें वरदान दिया कि वे हर युग में राम के साथ रहकर उनके भक्तों की रक्षा करेंगे।
कलयुग में हनुमान की अराधना
हनुमान चालीसा की पंक्तियां “अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता” का अर्थ है कि देवी सीता से बजरंग बली को ऐसा वरदान प्राप्त हुआ जिसके अनुसार कलयुग में वह किसी को भी आठ सिद्धियां और नौ निधियां प्रदान कर सकते हैं। आज भी यह माना जाता है कि जहां भी रामायण का गान होता है, हनुमान जी वहां अदृश्य रूप में उपस्थित होते हैं।
भगवान राम का वरदान
रावण की मृत्यु और लंका विजय करने के बाद भगवान राम ने हनुमान को यह वरदान दिया था जब तक इस संसार में मेरी कथा प्रचलित रहेगी, तब तक आपके शरीर में भी प्राण रहेंगे और आपकी कीर्ति भी अमिट रहेगी।
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