Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

शारदीय नवरात्र आज से, दिनभर कलश स्थापना कर सकेंगे, नवमी और दशमी एक ही दिन

शारदीय नवरात्र आज से, दिनभर कलश स्थापना कर सकेंगे, नवमी और दशमी एक ही दिन

Share this:

Durga Puja : शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस बार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 26 सितंबर को है। इसी दिन से नवरात्र शुरू हो जाएगा। कोई भी तिथि का क्षय न होने से अबकी नवरात्र पूरे नौ दिनों का है, लेकिन चार अक्टूबर को दोपहर 1:30 बजे तक ही नवमी रहेगी। इस अवधि में दुर्गा पाठ, हवन और कन्या पूजन किया जा सकेगा। चार अक्टूबर को दोपहर बाद कालिक दशमी मिलने से विजयदशमी भी इसी दिन मनाई जाएगी। इसी समय में नीलकंठ दर्शन, शमी पूजन, अपराजिता पूजन, जयंती ग्रहण आदि कृत्य होंगे।

5 अक्टूबर को होगा देवी प्रतिमाओं का विसर्जन

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार नवरात्र में देवी पूजन के अंतर्गत एक अक्टूबर को षष्ठी तिथि में विल्वाभिमंत्रण किया जाएगा। दो अक्टूबर को सप्तमी तिथि में पत्रिका प्रवेश, सरस्वती आह्वान, देवी प्रतिमाओं की पंडालों में प्रतिष्ठा-पूजन के साथ ही महानिशा पूजन किया जाएगा। तीन अक्टूबर को महाष्टमी व्रत और देवी अन्नपूर्णा की परिक्रमा की जाएगी। पांच अक्टूबर को देवी प्रतिमाओं का विसर्जन होगा। उतरती व्रत चार अक्टूबर को होगा। पांच अक्टूबर को पारन होगा। नवरात्र में नौ दिनों तक व्रत करने वाले भी पांच अक्टूबर को ही पारन करेंगे।

कलश स्थापन 

देवी आराधना के नौ दिनों के विशेष काल नवरात्र में आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापन का विधान है। इस वर्ष प्रतिपदा में चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग की व्याप्ति न होने से 26 सितंबर को पूरे दिन कलश स्थापन किया जा सकेगा। मध्याह्न काल के अभिजिन्मुहूर्त में कलश स्थापन की इच्छा रखने वाले सुबह 11:36 से 12:24 बजे तक घट स्थापन कर सकेंगे।

इस बार हाथी पर आगमन होगा व  प्रस्थान भी हाथी पर

इस बार शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान दोनों हाथी पर हो रहा है। बीएचयू के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री के अनुसार देवी का आगमन व प्रस्थान दोनों शुभ है। इसका फल जलवृष्टि कहा गया है। ज्योतिष चंद्रिका के प्रकीर्ण प्रकरण में शारदीय नवरात्र में देवी के वाहन और उसके फल के बारे में सविस्तार उल्लेख है।

Share this: