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Dharm: पग-पग पर संकट मुक्ति के उपाय सुझाते हैं संकटमोचन हनुमान जी

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Sankat Mochan Hanuman jee : ways to get rid of the crisis,dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm :  चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। हनुमानजी जयंती के शुभ योग में यदि कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो हर तरह की परेशानी से निपट सकते हैं।

ऐसे चढाएं हनुमानजी को चोला

हनुमान जयंती के दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाएं। इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले नहा-धो कर लाल रंग की धोती धारण कर लें। पूजा शुरू करने से पहले बजरंगबली के चमेली के तेल युक्त दिया जलाएं। उसके बाद गुलाब के फूलों की माला पहनाएं तथा चोला चढ़ाएं। बजरंग बलि को साबुत पान के पत्ते पर गुड़ व चना का भोग लगाएं। उसके बाद नीचे दिए मंत्र का जप करें।

मंत्र- राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।

सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।

इसके बाद हनुमानजी को चढ़ाई गई माला से एक फूल तोड़ कर, उसे लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन स्थान पर रखें। इससे आपकी सभी प्रकार की धन संबंधी समस्या ख़त्म हो जायेगी।

घर में स्थापित करें पारद हनुमान की प्रतिमा

पारद से बनी प्रतिमा की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। पारद निर्मित हनुमान प्रतिमा घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष खुद ही दूर हो जाते हैं, साथ ही घर में सुख-शान्ति भी बनी रहती है। इसकी पूजा करते रहने से तंत्र-मंत्र का असर घर में नहीं होता। न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है। पितृदोष से परेशान व्यक्ति को पारद हनुमान की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है।

शाम को जलाएं दीपक

हनुमान जयंती के दिन किसी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी की प्रतिमा के सामने दिया जलाएं। इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें।

रक्षा स्त्रोत का पाठ

सुबह के समय किसी हनुमान मंदिर में जाएं और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। इसके बाद बजरंगबली को गुड़ और चने का भोग लगाएं। यदि कोई समस्या है, तो उसका निवारण करने के लिए प्रार्थना करें।

प्राणों की रक्षा हेतु मंत्र/रक्षा कवच बनाने के लिए

हनुमानजी जब लंका से आये तो श्री राम ने उनसे पूछा “राम के वियोग में सीता अपने प्राणों की रक्षा कैसे करती हैं ?

तो हनुमान जी ने जवाब दिया ।

नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ।

लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट ॥

अर्थ – नाम पाहरू दिवस निसि’ सीता जी के चारों तरफ आप के नाम का पहरा है । क्योंकि वे रात दिन आप के नाम का ही जप करती हैं।

तो ‘जाहिं प्रान केहिं बाट ‘ सीता जी ने सभी ओर से श्री राम का रक्षा कवच धारण कर लिया है ..इस प्रकार वे अपने प्राणों की रक्षा करती हैं। इस मंत्र का श्रद्धा के साथ जप करने पर किसी भी तरह की बिमारी से प्राणों की रक्षा होती है।

रक्षा कवच बनाने के लिए

शांत मन से बैठ कर 2-3 मिनट रुक-रुक कर जप करें और ऐसा ध्यान करें की मेरे चारों तरफ भगवान का नाम ओर घूम रहा हें। भगवान के नाम का घेरा मेरी रक्षा कर रहा है।

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