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… और इस तरह मरने के बाद शादी के बंधन में बंध गया प्रेमी जोड़ा

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Nature (कुदरत) में ही नहीं, समाज में भी बहुत बार ऐसी घटनाएं घटती हैं, जिन पर सहसा यकीन नहीं होता, मगर जो आंखों के सामने हो, उस पर यकीन न करने की गुंजाइश कहा। हम सुनते आए हैं कि धरती पर बनने वाले जोड़े पहले से तय रहते हैं, मगर मरने के बाद भी किसी प्रेमी जोड़े के विवाह बंधन में बंधने की बात हैरत में डालती है। फिर भी यह सच है। यह घटना झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के आदिवासी क्षेत्र घाटशिला की है, जहां जीते जी एक प्रेमी जोड़े का विवाह नहीं हो सका तो उन्होंने आत्महत्या कर अपनी जिंदगी समाप्त कर ली। लेकिन,उनके मरने के बाद समाज ने पारंपरिक विधि से दोनों लाशों का पहले विवाह कराया, उसके बाद अंतिम संस्कार किया। 

जीते जी शादी के लिए तैयार नहीं थे परिजन

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लड़के की लाश से लड़की के शव की मांग भरवाई गई। दोनों को एक ही चिता पर इस दुनिया से रुखसत किया गया। बताया जाता है कि लक्ष्मण सोरेन (20) और सलमा किस्कू (17) दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे। इस रिश्ते से दोनों के घरवाले सहमत नहीं थे। इसके चलते दोनों ने रेलवे ट्रैक पर ट्रेन के सामने आकर अपनी जान दे दी। मरने के बाद घरवालों का दिल पसीजा और उनके शवों के साथ शादी की रस्म पूरी करवाई। लक्ष्मण कश्मीर में काम करता था और 10 दिन पहले ही घर लौटा था। सलमा 9वीं की छात्रा थी। परीक्षा देने की बात कहकर स्कूल निकली थी। 8 मई को दोनों ने रेलवे पटरी पर जान दे दी थी।

एक मामा की बेटी, दूसरा बुआ का बेटा

 दरअसल, नरसिंहगढ़ पंचायत के रहने वाले लक्ष्मण सोरेन और सलमा किस्कू एक-दूसरे से प्यार करते थे। रिश्ते में दोनों भाई-बहन लगते थे। एक मामा की बेटी दूसरा बुआ का लड़का। लिहाजा दोनों परिवारों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। समाज इस रिश्ते की अनुमति नहीं दे रहा था। दोनों पक्षों ने लड़की और लड़के पर रिश्ता तोड़ने का दबाव बनाया।

दोनों पक्षों में सहमति के बाद पहले विवाह, फिर अंतिम संस्कार किया गया

मृत्यु के बाद 8 मई की शाम को पोस्टमॉर्टम के बाद दोनों शव गांव लाए गए। उसी दौरान अंतिम संस्कार को लेकर दोनों पक्षों के बीच आपस में बैठक हुई। बैठक कई घंटे तक चली। आखिरकार सहमति बनी कि इस जोड़े का विवाह करा दिया जाए। सलमा के पिता मेघराय किस्कू, लक्ष्मण के पिता माघा सोरेन और वहां के ग्राम प्रधानों के बीच इस पर आमराय बनी कि लड़का पक्ष बेटी को बहू के रूप में स्वीकार करेगा। विवाह के बाद अंतिम संस्कार किया जाए। इसके बाद माघा सोरेन ने दोनों शवों का आदिवासी परंपरा और विधि विधान से विवाह कराया। फिर चार चक्का मौजा में एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। यह भी तय हुआ कि श्राद्ध का खर्च दोनों पक्ष उठाएंगे।  दोनों की लाश को युवक के पिता ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के बाद यह तय हुआ कि लड़की और लड़के के पिता व परिवार वाले भविष्य में इस घटना को लेकर किसी प्रकार का आरोप-प्रत्यारोप नहीं करेंगे।

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