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शंकर महादेवन देंगे संघ गीतों को नया सुर-ताल

शंकर महादेवन देंगे संघ गीतों को नया सुर-ताल

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New Delhi: पद्मश्री से सम्मानित सुप्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गीतों को नये सुर-ताल के साथ प्रस्तुत करेंगे। रा.स्व.संघ के सहस्राब्दि वर्ष अर्थात 100 साल पूरे होने पर यह उनकी तरफ से स्वयंसेवकों को अनूठा उपहार होगा। गत दिवस दिल्ली में आयोजित एक पुस्तक लोकार्पण समारोह में केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने यह जानकारी साझा की।
तानसेन के जीवन पर आधारित एक पुस्तक का लोकार्पण करते हुए नितिन गडकरी ने बताया कि जीवन में संगीत का अत्यन्त असाधारण महत्त्व है। रा.स्व.संघ से जुड़ाव के दौरान उन्हें अनेक भाव-विभोर कर देनेवाले देशभक्ति के गीतों ने प्रेरित किया था। संघ के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरुजी के निधन पर जो गीत गाया गया- शत नमन माधव चरण में, उस समय सभागार में ऐसा कोई नहीं था जिसकी आंखों से आसूं की धारा न बह निकली हो। गड़करी ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों के लिए डॉ. हेडगेवार और श्रीगुरूजी से लेकर देशभक्तिपूर्ण गीत किसने लिखे, यह एक इतिहास है जिसकी खोज करनी चाहिए।
गड़करी ने बताया कि ऐसे ही अनेक गीतों को नये सुर और ताल के साथ नयी पीढ़ी के सामने प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने सुप्रसिद्ध संगीतकार शंकर महादेवन से आग्रह किया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया है। संघ के 100वें वर्ष में स्वयंसेवक उन्हीं प्रेरक गीतों को नये संगीत के साथ सुन सकेंगे।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि शंकर महादेवन दो वर्ष पूर्व ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस (विजयादश्मी, 24 अक्टूबर, 2023) के मुख्य अतिथि थे। उस दौरान उन्होंने नागपुर में आयोजित समारोह में कहा था, ‘जब मैं स्वयंसेवकों को देखता हूं, वे देश में कोई भी घटना हो, कोई भी प्रॉब्लम हो, जब जरूरत है, वे भी पीछे खड़े होकर चुपचाप अपने देश के लिए काम करते हैं। अगर हम कहेंगे कि हमारा देश एक गीत है, तो हमारे स्वयंसेवक उसके पीछे की सरगम हैं। जो गीत को जान देते हैं।’ देश को गीत और स्वयंसेवकों को उसकी सरगम बताने वाले शंकर महादेवन संघ के उन गीतों को नये सुर में प्रस्तुत करनेवाले हैं, जिनसे स्वयंसेवकों के मन के तार झंकृत हो उठते हैं और वे देश की रक्षा और देशवासियों की सेवा के लिए तत्पर हो जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आयोजनों में एकल गीत से लेकर सामूहिक गीतों का अत्यन्त महत्त्व होता है। संघ के प्रशिक्षण शिविरों में बाकायदा गीत-संगीत सिखाने के लिए अलग से कक्षाएं आयोजित की जाती हैं। संघ के घोष यानि बैंड के साथ पथ संचलन (परेड) आदि प्रदर्शन करते हुए तो प्राय: देखा ही जाता है, परन्तु संघ में गीत रचना और गीतकारों के बारे में बहुत कम जानकारी ही उपलब्ध है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अनेक संघ गीतों की रचना की थी, जिसमें ‘कदम मिला कर चलना होगा’ और ‘हिन्दू तन मन हिन्दू जीवन, रग रग हिन्दू मेरा परिचय’ जैसे गीत जन-जन की जुबान तक पहुंचे। मराठी के सुप्रसिद्ध गायक सुधीर फड़के ने भी संघ के लिए अनेक गीतों की रचना की और उसे सुर दिया। संघ गीत की पुस्तकें देखें, तो उसमें सैकड़ों ऐसे गीत मिलेंगे, जो देश और समाज के लिए जीने और कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देते हैं।

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