RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 10-15 वर्षों में ‘अखंड भारत’ बनाने के बाद उत्तराखंड के हरिद्वार में संतों की सभा में अहिंसा के साथ लाठी-डंडा उठाने संबंधी नए ज्ञान का बिगुल भी फूंक रहे हैं। संत भारतीय परंपरा में वैसे भी ज्ञानी कहे जाते हैं। अब उन्हें ज्ञान की नयी परिभाषा से अपने संत होने के मायने को बदलना है। यह याद दिला देना भी अनावश्यक नहीं होगा कि महात्मा गांधी 20 वीं शताब्दी में पूरी दुनिया के लिए अहिंसा का प्रतिमान बनकर उभरे। उनके हाथ में एक लाठी भी हुआ करती थी, लेकिन वह लाठी कभी किसी पर चली नहीं। अंग्रेजों पर भी नहीं और इस लाठी ने अंग्रेजों की तोपों को शिकस्त दे दी। मोहन भागवत के अनुसार, भारत अहिंसा की बात करेगा, लेकिन डंडा भी उठाएगा, क्योंकि दुनिया केवल शक्ति को समझती है। संतों की एक सभा में उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो के सपनों का भारत केवल 10 या 15 वर्षों में साकार होगा। याद रखिए, गांधी के सपनों के भारत में भारत के सभी महापुरुषों के सपनों का भारत समाहित हो जाता है और यही भारत की आंतरिक शक्ति का प्रमाण है। यह भी जान लें कि ‘ज्ञान की गंगा’ की भारतीयता उसकी अपराजेय गंभीरता की द्योतक है और ‘ज्ञान का बिगुल’ शोर का संजाल।
कोई दुर्भावना नहीं किसी से दुश्मनी नहीं
भागवत ने यह भी तर्क दिया कि यदि समाज दृढ़ संकल्प के साथ चलता है तो अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा, “सब कुछ एक बार में हासिल नहीं किया जाएगा। मेरे पास बिल्कुल भी शक्ति नहीं है। यह लोगों के पास है। उनके पास नियंत्रण है। जब वे तैयार होते हैं तो सभी का व्यवहार बदल जाता है। हम उन्हें तैयार कर रहे हैं। आप भी करें। हम बिना किसी डर के एक उदाहरण के तौर पर साथ चलेंगे। हम अहिंसा की बात करेंगे, लेकिन डंडा लेकर चलेंगे। और वह डंडा भारी होगा।” उन्होंने कहा, “हमारी कोई दुर्भावना नहीं है, न ही किसी से दुश्मनी है। दुनिया सिर्फ ताकत समझती है। हमारे पास ताकत होनी चाहिए और यह दिखाई देनी चाहिए।”
हमारा लक्ष्य निर्धारित है
भागवत ने कहा कि हिंदू राष्ट्र और कुछ नहीं बल्कि सनातन धर्म है। उन्होंने कहा, “धर्म के उद्देश्य भारत के उद्देश्य हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि धर्म भारत का जीवन है। धर्म की प्रगति के बिना भारत की प्रगति संभव नहीं है। सनातन धर्म ही हिन्दू राष्ट्र है। भारत की प्रगति सुनिश्चित है।”
खत्म कर दिए जाएंगे प्रगति के बाधक
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत ने अपनी प्रगति की यात्रा शुरू कर दी है और यह अब नहीं रुक सकता। भागवत ने कहा, “जो इसे रोकना चाहते हैं या तो हटा दिए जाएंगे या खत्म कर दिए जाएंगे, लेकिन भारत नहीं रुकेगा।” उन्होंने कहा, “अब एक वाहन चल रहा है जिसमें एक एक्सीलरेटर है लेकिन ब्रेक नहीं है। बीच में कोई नहीं आना चाहिए। आप चाहें तो हमारे साथ आकर बैठें या स्टेशन पर रुकें। हमारा लक्ष्य निर्धारित है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमने अपनी विविधता को आत्मसात कर लिया है। हमने अपनी विविधता और परंपराओं को सुरक्षित रखा है। लेकिन, हमें यह समझना चाहिए कि हम विविधता के कारण एक दूसरे से अलग नहीं हैं। अगर हम अपने मतभेदों को भूलकर साथ चलते हैं तो हम अपने लक्ष्य 20-25 साल में तक पहुंच जाएंगे।” भागवत के कहने का स्पष्ट मायना है कि 20-25 वर्षों तक भाजपा को सत्ता में बनाए रखकर हम अपने अनुसार बना लेंगे ‘हिंदू राष्ट्र’ और इसके सभी विरोधी नेस्तनाबूद हो जाएंगे।